नई दिल्ली 27 अप्रैल।कोविड-19 के रोगियों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभरकर सामने आया है।
अमरीका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों ने कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए नैदानिक परीक्षण शुरू कर दिया है। भारत के औषधि महानियंत्रक ने कोविड-19 के रोगियों के लिए इलाज के लिए आईसीएमआर के मानकों के तहत प्लाज्मा थेरेपी के परीक्षण की अनुमति दे दी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञों से अनुसार प्लाज्मा थेरेपी का पहले की वायरल महामारी में उपयोग किया जा चुका है। वर्ष 2018 में अफ्रीका में इबोला प्रकोप के दौरान यह बहुत प्रभावी रहा था। प्लाज्मा थेरेपी का मूल सिद्धांत स्वस्थ व्यक्ति की प्रतिरोधक शक्ति का किसी बीमार व्यक्ति में उपयोग में लाना है। इसके उपचार में कोविड-19 की बीमारी से स्वस्थ हुए व्यक्ति से रक्त लिया जाता है और बाद में एंटीबॉडीज को प्रभावहीन करने के लिए विषाणुओं की जांच के बाद सीरम से अलग किया जाता है। यह सीरम कोरोना विषाणु एंटीबॉडी से समृद्ध होता है और इसे बाद में कोविड-19 के मरीजों को दिया जाता है। इस तरह से कोविड-19 के रोगियों की प्रतिरोधी क्षमता में वृद्धि होती है।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने बताया कि ये थेरेपी कोरोना से गंभीर रूप से प्रभावित मरीजों के लिए है।
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