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छत्तीसगढ़ की आगामी वित्त वर्ष की आबकारी नीति को मंजूरी

रायपुर 13 फरवरी।छत्तीसगढ़ मंत्रिपरिषद ने आज आगामी वित्त वर्ष की आबकारी नीति को मंजूरी दे दी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में यह मंजूरी दी।मंत्रिपरिषद ने तेन्दूपत्ता के व्यापार से प्राप्त शुद्ध आय में से 15 प्रतिशत राशि का संग्राहक समितियों को अराष्ट्रीयकृत लघु वनोपजों के व्यापार के साथ-साथ लाख पालन हेतु भी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया।समितियों द्वारा यह कार्य छ.ग. राज्य लघु वनोपज संघ के मार्गदर्शन में किया जाएगा। बैठक में लघु वनोपज आधारित प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए राज्य शासन,छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ एवं निजी निवेशकों के मध्य किए जाने वाले एमओयू के प्रारूप का अनुमोदन किया गया और कैम्पा मद से राज्य के वनक्षेत्रों में डी.जी.पी.एस. सर्वे कार्य कराए जाने का निर्णय लिया गया।

बैठक में  सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए आवश्यक शक्कर का क्रय फरवरी 21 से एक वर्ष के लिए खुली निविदा के माध्यम से किए जाने के निर्णय का अनुमोदन किया गया।इसके साथ ही  जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन के लिए एकल/समूह में ग्राम की नल जल योजना या रेट्रोफिटिंग कार्यो (ग्राम के अंदर के कार्यो) का एकल/समूह में निविदा के माध्यम से पांच करोड़ तक के वित्तीय अधिकार जिला जल एवं स्वच्छता मिशन को सौंपने का निर्णय लिया गया है।

मंत्रिपरिषद ने रायपुर विकास प्राधिकरण को शासकीय भूमि पर निर्मित संपत्तियों को एक रूपए प्रति वर्गफुट की दर से आबंटन करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ आबकारी नीति वित्तीय वर्ष 2021-22 तथा छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण पुनर्गठन नियम-2020 में संशोधन के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।

गोधन न्याय योजना के तहत गोठान समिति एवं स्व सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। जिसके तहत प्रति किलो वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय दर की राशि 10 रूपए में से गोबर (2.5 किलोग्राम) क्रय की लागत राशि 5 रूपए संबंधित गोठान समित को दिया जाएगा। इसी प्रकार प्रसंस्करण और पैकेजिंग पर व्यय राशि 0.65 रूपए संबंधित समूह को दिया जाएगा।