Friday , March 29 2024
Home / MainSlide / सकारात्मक सोच से असाध्य बीमारियों का भी हो सकता है इलाज-उइके

सकारात्मक सोच से असाध्य बीमारियों का भी हो सकता है इलाज-उइके

रायपुर, 24 अगस्त।छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि सकारात्मक सोच से मन को ऊर्जा मिलती है और असाध्य बीमारियों का इलाज भी हो जाता है।

सुश्री अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ मेंटल हेल्थ काउंसिल के उद्घाटन और मेंटल हेल्थ काउंसिल के छत्तीसगढ़ चेप्टर का वर्चुअल शुभारंभ करते हुए कहा कि आज की परिस्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य विषय बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए वे सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में पाठ्यक्रम प्रारंभ करने के लिए कुलपतियों को एक पत्र भी लिखेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे है और वर्कफ्राम होम जैसे व्यवस्थाओं के कारण आमजनों को घर से कार्य करने पड़ रहे है। इन सब परिस्थितियों के कारण मानसिक तनाव की स्थिति से गुजरना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि लोग शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने पर डॉक्टर के पास जाते है, किंतु मानसिक रूप से अस्वस्थ होने की बात स्वीकार नहीं करते और उसके इलाज के लिए मनोरोग विशेषज्ञ के पास नहीं जाना चाहते। मानसिक स्वास्थ्य के संबंधी जागरूकता लाने के लिए यह सबसे पहले आवश्यक है कि हम इसे स्वीकारें। समाज में आज भी बहुत बड़ी संख्या में लोग मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक ही नहीं है। उन्होंने कहा कि मार्च 2020 में लॉकडाउन लगते ही, हम सबकी दुनिया पूरी तरह थम सी गयी थी। आइसोलेशन और क्वारेंटाइन वाले जीवन की हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। इन सबका असर बड़ी मात्रा में मानसिक स्वास्थ्य पर अवश्य पड़ा है।

सुश्री उइके ने कहा कि जो महिलाएं अपने घर का मैनेजमेंट करती है जिनको आमतौर पर हम सब हाउस वाइफ कहते हैं वे महिलाएं मानसिक अस्वस्थता की सबसे बड़ी शिकार होती हैं। साथ ही इन महिलाओं की तरफ शायद ही किसी संस्था ने संगठित होकर इस तरीके से कार्य करने का आयोजन किया है, जो कि आपकी संस्था कर रही है। ऐसे में हमारे सामने एक बहुत बड़ा तबका उन महिलाओं का भी है जिन्हें अपने कार्य क्षेत्र की जिम्मेदारियों के साथ-साथ घर की जिम्मेदारियां भी बखूबी निभानी पड़ती है। यह कह सकते हैं कि इन महिलाओं को दो नाव में पांव रखकर चलना होता है।

उन्होंने कहा कि एक महिला होने के नाते इस दोहरी जिम्मेदारी को निभाना कितना चुनौतीपूर्ण कार्य है, यह मैं बहुत अच्छे से समझ सकती हूं। मैं यह भी जानती हूं कि दोहरी जिम्मेदारी निभाने वाली ऐसी महिलाओं को मानसिक रूप से कितने संघर्षों का सामना करना पड़ता होता है। ऐसी ही महिलाओं का पता लगा कर आपकी संस्था द्वारा इन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ रहने की अगर टिप्स दी जाती हैं तथा उन्हें समझाया जाता है, तो यह बहुत अच्छा कार्य होगा। ऐसी महिलाओं के लिए विशेष कार्ययोजना अवश्य बनाएं। हमारे गांव अंचल में बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं हैं जो खेती पर भी काम करती हैं और घर की व्यवस्था भी संभालती हैं। इन तक पहुंचना भी आवश्यक है।