रायपुर 25 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चल रही रस्साकशी और इसके अब पक्ष एवं विरोध में टकराव की घटनाएं शुरू हो गई हैं।प्रदेश कांग्रेस की स्थिति पूरे मामले में असहाय जैसी हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कल राज्य के जशपुर की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर कहा हैं कि राज्य के प्रभारी द्वारा स्थिति स्पष्ट किए जाने के बाद ढ़ाई ढ़ाई वर्ष का बार बार सवाल उठाकर माहौल को खराब करने की कोशिश नही होनी चाहिए।
श्री बघेल ने आज यहां उत्तरप्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश के तीन दिवसीय चुनावी दौरे पर रवाना होने से पूर्व माना विमानतल पर पत्रकारों के कल जशपुर में कांग्रेस के प्रभारी राष्ट्रीय सचिव की मौजूदगी में मंच पर उनके और सिंहदेव के समर्थकों के बीच टकराव की घटना के बारे में पूछे जाने पर यह टिप्पणी की।उन्होने कहा कि राज्य के प्रभारी पी.एल.पुनिया पहले ही स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं।उन्होने जशपुर की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि इस तरह की घटना से बचा जा सकता था।
राज्य में दो माह पहले नेतृत्व परिवर्तन को लेकर शुरू हुई रस्साकशी रूकने का नाम नही ले रही है। इसके शुरू होने के बाद से आमतौर पर घर से सरकारी कार्यक्रमों में वर्चुवल शामिल होने वाले मुख्यमंत्री श्री बघेल जहां अचानक काफी सक्रिय हो गए हैं और सामाजिक संगठनों एवं समाज के दूसरे वर्गों से वह मिल रहे हैं और जिलों के दौरे भी करना शुरू कर दिया है। उऩ्होने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षकों की गत सप्ताह ही कान्फ्रेन्स कर यह जताने की कोशिश की उन्हे कोई खतरा नही है।
श्री बघेल को उत्तरप्रदेश का कांग्रेस का मुख्य पर्यवेक्षक बनाया गया है।श्री बघेल अन्य पिछड़ा वर्ग के कुर्मी जाति से आते हैं,जिनकी उत्तरप्रदेश के कई इलाकों में बहुलता है। राज्य में वर्ष के शुरू में होने वाले चुनाव में राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के मुख्य टक्कर में होने की खबरों से सत्तारूढ़ भाजपा भी अन्य पिछड़ा वर्ग पर काफी फोकस कर रही हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना हैं कि ऐसी स्थिति में पिछड़े वर्ग के नेता को हटाकर उच्च वर्ग से आने वाले श्री सिंहदेव को कम से कम उत्तरप्रदेश चुनावों से पूर्व मुख्यमंत्री पद का दायित्व सौंपने के आसार नही दिखते हैं।
इस बीच सिंहदेव भी नेतृत्व परिवर्तन को लेकर पूरी ताकत से जुटे हैं। वह पिछले एक सप्ताह से दिल्ली में डेरा डाले हुए है। दिल्ली में ही बैठकर वह अपने विभागों की कुछ वर्चुवल बैठके भी कर चुके हैं। वह और उनके समर्थक पूरी तरह आशान्वित हैं कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होंगा। 25 अगस्त से शुरू हुए इस विवाद के बाद से कांग्रेस अलाकमान की तरफ से कोई स्पष्ट बयान नही आया हैं। इस रस्साकशी से पार्टी के भीतर श्री बघेल एवं श्री सिंहदेव के पक्ष में गुट बनता दिख रहा हैं,जिसकी कल जशपुर मे हुई घटना से पुष्टि भी हुई है।
इस पूरे घटनाक्रम में प्रदेश कांग्रेस की स्थिति असहाय जैसी हैं। कुल लोगो का मानना हैं कि राज्य में कांग्रेस की खेमाबाजी धीरे धीरे लगभग पांच वर्ष पहले पूर्व मुख्यमंत्री स्वं अजीत जोगी के कांग्रेस में रहते समय जैसे बनने की ओर बढ़ रही हैं। कांग्रेस आलाकमान की चुप्पी से सरकार के कामकाज पर असर पड़ रहा है। हालांकि श्री बघेल इससे इंकार करते हैं। कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर मची रस्साकशी में मुख्य विपक्षी दल भाजपा को तंज कसने का पूरा मौका मिल गया है। उसके सभी बड़े नेता सोशल मीडिया हो या मुख्य धारा का मीडिया,उसमें लगातार तंज कस रहे हैं।