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रेरा के गठन से रियल इस्टेट के काम-काज में आई पारदर्शिता- ढांड

बिलासपुर, 23 अप्रैल। छत्तीसगढ़ भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) के अध्यक्ष विवेक ढांड ने कहा कि रेरा के अस्तित्व में आने से रियल इस्टेट के कारोबार में पारदर्शिता आई है। इससे प्रोमोटर्स-बिल्डर्स एवं उपभोक्ता दोनों को फायदा हुआ है।

श्री ढांड ने आज यहां रेरा की कार्यशाला को संबोधित करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किये। कार्यशाला में बिलासपुर और सरगुजा संभाग के जिलों से आए प्रमोटर्स, आर्किटेक्ट एवं इंजीनियर सैकड़ों की संख्या में शामिल हुए। कार्यशाला में रियल इस्टेट से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर समाधान निकाला गया। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर जयप्रकाश मौर्य एवं कलेक्टर सारांश मित्तर भी बैठक में उपस्थित थे।

श्री ढांड ने अपने उदबोधन में कहा कि रियल इस्टेट सेक्टर का देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान है। जीडीपी में 6 फीसदी हिस्सेदारी इस सेक्टर की है। देश में 4 करोड़ से ज्यादा लोगों के रोजगार का यह जरिया बना है। उन्होंने बताया कि 250 प्रकार के उद्योगों द्वारा उत्पादित सामग्री का उपयोग इस सेक्टर में होता है। रेरा गठन के पूर्व इस सेक्टर में काफी मनमानी थी। उपभोक्ताओं का शोषण होता था। कोई सुनवाई के तंत्र नहीं था। इन तकलीफों को दूर करने के लिए वर्ष 2018 से राज्य में रेरा काम कर रहा है। प्रमोटर्स-बिल्डर्स को अपनी घोषणा के अनुरूप सुविधा उपभोक्ता को देनी होगी। समय पर प्लाट एवं भवन देना होगा अन्यथा कार्रवाई एवं जुर्माना भरना पड़ेगा।

उन्होने कहा कि राज्य सरकार द्वारा रियल इस्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए अच्छा काम किया जा रहा है। गत तीन-चार वर्ष से कलेक्टर गाइडलाईन की राशि नहीं बढ़ाई गई। यही नहीं बल्कि 30 फीसदी रियायत पर पंजीयन की अनुमति दी गई है। प्रमोटर्स-बिल्डर्स ने अपने अनुभव के आधार पर कई दिक्कतें गिनाई, जिनका अधिकारियों ने समाधान किया।