Friday , September 20 2024
Home / MainSlide / कृषि क्षेत्र के विकास में संस्कृति परंपरा के साथ ही आधुनिक तकनीक का उपयोग जरूरी- भूपेश

कृषि क्षेत्र के विकास में संस्कृति परंपरा के साथ ही आधुनिक तकनीक का उपयोग जरूरी- भूपेश

रायपुर 03 मई।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए राज्य की संस्कृति परंपरा और आधुनिक तकनीक का उपयोग करना होगा। इसके लिए राज्य सरकार हर संभव बेहतर कार्य करने का प्रयास कर रही है।

श्री बघेल ने आज कृषि महाविद्यालय परिसर में आयोजित अक्ती तिहार और माटी पूजन दिवस के कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें छत्तीसगढ़ की प्राचीन परंपरा की अच्छी बातों को ग्रहण करते हुए आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर खेती किसानी को आगे बढ़ाना है। इसके लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विगत 35 सालों से सराहनीय कार्य किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि कृषि तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए कृषि इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी महाविद्यालय भी प्रारंभ किया गया है। इससे आधुनिक तकनीक के लिए नए-नए कृषि यंत्र भी उपलब्ध हो सकेंगे।

उन्होने राज्य के किसानों द्वारा अक्ती के अवसर पर माटी पूजन की परम्परा का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें खेती की जमीन को सहेज कर रखना होगा। यदि हम मिट्टी के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं, तो इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी और हमारे स्वास्थ्य की भी रक्षा होगी। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी कठोर हो रही है। जमीन में विषैले तत्व बढ़ रहे हैं, जो उपजों के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचते हैं और कैंसर, हायपर टेंशन सहित अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं। उन्होंने किसानों से वर्मी कम्पोस्ट का अधिक से अधिक उपयोग करने का आव्हान किया।

श्री बघेल ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक कृषि उपजों, लघु वनोपजों की छोटी-छोटी प्रोसेसिंग यूनिट विकसित करें। यह भी प्रयास करें की कृषि उपजों की उत्पादन लागत कैसे कम हो। उन्होंने कहा कि हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य उपजों का अच्छा संग्रहण हो, संग्राहकों और किसानों को अच्छा दाम मिले, उपजों में वेल्यू एडिशन हो और लोगों को अधिक से अधिक रोजगार मिले। इसके साथ-साथ उपजों के विक्रय की भी अच्छी व्यवस्था विकसित हो।श्री बघेल ने कहा कि आज पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग से चिंतित है। उन्होंने छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी का उल्लेख करते हुए कहा कि सुराजी गांव योजना के तहत इस योजना को लागू कर छत्तीसगढ़ ने क्लाईमेट चेंज से निजात पाने का रास्ता खोजा है।

श्री बघेल ने अक्ती पर्व पर माटी पूजन की परंपरा के अनुसार ठेठ छत्तीसगढ़िया किसान की पारम्परिक वेश-भूषा में धोती कुर्ता पहनकर माटी पूजन किया और धान बुवाई की रस्म भी अदा कर छत्तीसगढ़ में माटी पूजन महाअभियान का शुभारंभ किया। रायपुर के अभियांत्रिकी महाविद्यालय परिसर में उन्होंने कोठी से पांच मुट्ठी धान निकालकर बैगा को सौंपा। बैगा ने धरती मां और ठाकुर देव की पूजा अर्चना कर बुवाई के लिए धान का बीजहा बीज मुख्यमंत्री को सौंपा। मुख्यमंत्री ने धरती मां की जयकारा करते हुए धान बीज का छिड़काव किया। उन्होने इस अवसर पर उपस्थित लोगों को भूमि की उर्वरता के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जैविक खेती को अपनाने की शपथ दिलाई। उन्होंने ट्रेक्टर से खेत की जुताई की।

श्री बघेल ने इस अवसर पर सभी संभाग में यांत्रिकी स्किल डेव्हलपमेंट सेंटर स्थापित करने की घोषणा भी की। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में स्वामी विवेकानंद कृषि महाविद्यालय इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर भवन का लोकार्पण किया।उन्होने सटीक मौसम पूर्वानुमान के लिए डॉप्लर तकनीक का शिलान्यास किया और कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित किए गए कृषि रोज़गार मोबाइल एप्लिकेशन का लोकार्पण भी किया।