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गोमूत्र खरीदेगी छत्तीसगढ़ सरकार, जानें इसके पीछे की खास वजह…

गोबर की खरीददारी के बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार गोमूत्र खरीदने जा रही है। गोमूत्र खरीदी को लेकर सीएम भूपेश बघेल ने कहा, हरेली के दिन इसकी खरीदी शुरू की जाएगी। बहुत सारे साथी हैं जो जैविक खेती करना चाहते हैं, ऐसे लोगों के लिए गोमूत्र से दवाई भी हम बनाएंगे। ताकि जैविक खेती को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जा सके।

खाद्य पदार्थो पर जीएसटी लागू होने पर मुख्यमंत्री भूपेश ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, छत्तीसगढ़ की सरकार आम जनता के जेब में पैसे डालने का काम करती है, लेकिन केंद्र सरकार आम आदमी की जेब से कैसे पैसा निकाला जाए, यह काम करती है। अब तो पनीर, दही सहित अन्य खाद्य पदार्थ जो रोज घरों में उपयोग होता है, उनमें भी जीएसटी लगा दिए हैं। केंद्र सरकार ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है।

विधानसभा के मानसून सत्र को लेकर सीएम बघेल ने कहा, कल से विधानसभा सत्र चालू होगा। इस मानसून सत्र में अनेक सवाल, ध्यानाकर्षण और स्थगन लगाए गए हैं। हमारी पूरी तैयारी है। बैठक भी हमारी हो गई है। पूरी ताकत के साथ हमारे साथी जवाब देंगे

गोबर की खरीददारी के बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार गोमूत्र खरीदने जा रही है। 28 जुलाई को हरेली त्योहार के दिन इस योजना का शुभारंभ होगा । गोमूत्र का दाम चार रुपये प्रति लीटर तय किया गया है। फिलहाल राज्य के सभी 28 जिलों में दो-दो गोठान प्रबंधन समिति के माध्यम से खरीददारी प्रक्रिया शुरू होगी। बाद में योजना का विस्तार किया जाएगा।

कामधेनु और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने गोमूत्र का उपयोग करने के लिए सरकार को तीन विकल्प सुझाते हुए रिपोर्ट सौंपी है। इससे जीवामृत, जैव कीटनाशक और पौधों के वृद्धिवर्धक उत्पाद बनाए जाएंगे। कृ षि विकास एवं किसान कल्याण और जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को खरीददारी की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश जारी किया है। इस योजना को मंत्रिपरिषद से मंजूरी भी मिल चुकी है।

ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ सरकार गोधन न्याय योजना के तहत पहले से ही दो रुपये किलो में गोबर खरीद रही है। गोमूत्र की खरीदी सरकार की दूसरी महत्वाकांक्षी योजना है। गोमूत्र के संग्रहण व संकलन का प्रशिक्षण किसानों को दिया जा रहा है। गोमूत्र की खरीददारी, परीक्षण, पैकेजिंग और विपणन की व्यवस्था गोठान प्रबंधन समिति और स्वसहायता समूहों द्वारा किया जाएगा।