जगदलपुर।अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर पूरे प्रदेश भर के अधिकारी और कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी इसका खासा असर पड़ा है. खासकर स्कूल शिक्षा काफी प्रभावित हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों के कई स्कूलों में ताला लग चुका है. कुछ सरकारी स्कूल अगर खुले भी हैं तो वह भी शिक्षक के अभाव में खाली पड़े हैं.
बताया जा रहा है कि यह हड़ताल छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले 5 दिन की है, लेकिन छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का मन बना लिया है. जिसके चलते एक बार फिर से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने का डर पालकों को सताने लगा है. वहीं अधिकारी और कर्मचारियों के इस हड़ताल से 56 सरकारी विभागों में कामकाज पूरी तरह से प्रभावित हुआ है.
अधिकारी कर्मचारी कर रहे भत्ता बढ़ाने की मांग
हड़ताल पर बैठे अधिकारी और कर्मचारियों का कहना है कि देश में लगातार महंगाई बढ़ रही है. इस बढ़ती महंगाई में उन्हें पुराना महंगाई भत्ता ही मिल रहा है. साथ ही आवास भाढ़ा में भी पिछले कई सालों से बढ़ोतरी नहीं की गई है. उन्होंने सरकार पर भेदभाव बरतने का आरोप लगाया है. साथ ही उनका कहना है कि केंद्र सरकार सातवें वेतनमान के अनुसार भी आवास भाड़ा भत्ता और एरियर्स का भी लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है.
उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां विधायक निधि और विधायकों का वेतन सरकार बढ़ा रही है, लेकिन राज्य के कर्मचारी और अधिकारियों के वेतन में किसी तरह की कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही है. जिसको लेकर हमारी नाराजगी है. अधिकारियों का कहना है कि अगर जल्द उनकी मांग पूरी नहीं की जाती है तो इस पांच दिवसीय हड़ताल को अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदला जाएगा.
जिले के कई सरकारी स्कूलों में लगा ताला
वहीं अधिकारी और कर्मचारी फेडरेशन के साथ-साथ छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन भी हड़ताल पर है. उन्होंने अनिश्चितकाल हड़ताल करने का मन बना लिया है. हड़ताल पर बैठे शिक्षकों का कहना है कि उनकी भी यही 2 सूत्रीय मांग है, जिसे जल्द से जल्द सरकार पूरा करे. उनके हड़ताल पर चले जाने से स्कूल शिक्षा प्रभावित हुई है और कई स्कूलों में ताला लग गया है.
इधर शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने से ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों के कई स्कूलों में ताला लग गया है. कुछ स्कूल खुले भी हैं तो वह व्यापम के एक-एक शिक्षक के भरोसे हैं, जहां पढ़ाई नहीं हो पा रही है. इसकी वजह से स्कूल खाली पड़े हैं और पालकों को भी उनके बच्चों की शिक्षा की चिंता सताने लगी है.
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