पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने का विधान है। भाद्रपद में पहला प्रदोष व्रत 24 अगस्त दिन बुधवार को पड़ रहा है। बुधवार को पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। इस दिन शिवजी के साथ माता पार्वती की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होगी। जानिए बुध प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
बुध प्रदोष व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि आरंभ- 24 अगस्त को सुबह 08 बजकर 30 मिनट से
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त- 25 अगस्त को सुबह 10 बजकर 37 मिनट
पूजा का शुभ मुहूर्त- 24 अगस्त शाम 6 बजकर 48 मिनट से रात 9 बजकर 4 मिनट तक
बुध प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों को निवृत्त होकर स्नान कर लें।
स्नान के बाद साफ-सुथरे और सूखे वस्त्र धारण कर लें।
अब भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करके हुए व्रत का संकल्प लें
भगवान शिव की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर लें। इसके बाद खुद आसन बिछाकर बैठ जाएं।
अब भगवान शिव को पुष्प के माध्यम से जल चढ़ाएं।
जल के बाद सफेद फूल, माला, शमी, धतूरा, बेलपत्र, भांग, चीनी, शहद आदि चढ़ाएं।
इसके बाद सफेद चंदन लगाकर अक्षत लगाएं।
भोग में पुआ, हलवा या फिर चने चढ़ाएं।
अब घी का दीपक जलाकर शिव जी के मंत्र, शिव चालीसा, प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।
अंत में आरती करके भगवान शिव के सामने भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
इसके बाद प्रसाद सभी को बांट दें।
आप दिनभर फलाहारी व्रत रखें और दूसरे दिन सूर्योदय के साथ व्रत का पारण करें।