रायपुर 30 नवम्बर।गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा कि रमन सरकार ने छत्तीसगढ़ को वर्ष 2022 तक नक्सल समस्या से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है।सरकार उस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
श्री पैकरा ने आज यहां मीडिया प्रतिनिधियों को रमन सरकार के विगत 14 वर्ष की विकास यात्रा के तहत अपने विभागों की उपलब्धियों की जानकारी दी।उन्होने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के नक्सल समस्या ग्रस्त इलाकों में नये और छोटे जिलों का निर्माण किया। इसके फलस्वरूप वहां नक्सल समस्या को समाप्त करने की दिशा में सरकार को अच्छी सफलता मिल रही है। श्री पैकरा ने कहा कि नये जिलों के निर्माण से प्रशासन जरिये सरकार की योजनाएं जनता तक तेजी से पहुंच रही है। इन इलाकों में शांति और सुरक्षा का वातावरण बना है।
उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विगत 14 वर्ष में बनाये गए जिलों का उल्लेख करते हुए बताया कि बस्तर अंचल में बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, कोण्डागांव जिलों का निर्माण किया गया। सरगुजा अंचल में सूरजपुर और बलरामपुर-रामानुजगंज जिलों का गठन हुआ। नये जिलों में पुलिस बल की संख्या भी बढ़ी है। निर्माण कार्यों में पुलिस मदद कर रही है। प्रभावित इलाकों में सर्चिंग ऑपरेशन भी चल रहे हैं। श्री पैकरा ने बताया कि राज्य गठन के समय प्रदेश में पुलिस थानों की संख्या 293 और चौकियों की संख्या 57 थी।आज की स्थिति में प्रदेश में पुलिस थानों की संख्या बढ़कर 493 और पुलिस चौकियों की संख्या 113 हो गई है।
गृह मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की विशेष पहल पर केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी.आर.पी.एफ.) की 12 बटालियनों में से एक बटालियन को बस्तरिया बटालियन के रूप में स्वीकृति मिली है।इस बटालियन में नक्सल प्रभावित चार जिलों सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर से आदिवासी संवर्ग के 739 पदों पर भर्ती की जा चुकी है।पुलिस बल और पुलिस कर्मियों की सुविधा की दृष्टि से उनके कार्यालय भवनों और आवास गृहों का निर्माण भी तेजी से किया जा रहा है।
श्री पैकरा ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री पुलिस आवास योजना के तहत राज्य में पुलिस कर्मचारियों के लिए दस हजार मकान बनवाए जा रहे हैं। वर्तमान में इनमें से 800 करोड़ रूपए की लागत से 6168 भवनों का निर्माण प्रगति पर है। गृह मंत्री ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है,जिसने प्लेसमेंट एजेंसियों के कार्यो के प्रभावी नियंत्रण और नियमन के लिए कानून बनाया है।बाल अधिकार अपराध अनुसंधान प्रकोष्ठ की स्थापन पुलिस मुख्यालय में की गई है।महिलाओं की मदद के लिए वन स्टाप सेंटर बनाया गया है।
श्री पैकरा ने जेल विभाग की 14 वर्ष की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में जेलों की स्थिति में भी लगातार सुधार किया है। वर्ष 2003 में राज्य में 26 जेलें थीं। इनमें चार केन्द्रीय जेल, 6 जिला जेल और 16 उपजेल थे। इनकी संख्या जून 2017 तक बढ़कर 33 हो गई, जिनमें पांच केन्द्रीय जेल, 12 जिला जेल और 16 उपजेल शामिल हैं। जेलों में बंदियों की सुविधा के लिए आवास क्षमता भी बढ़ायी जा रही है। वर्ष 2003 में प्रदेश की जेलों में आवास क्षमता 4503 थी, जो मई 2017 तक बढ़कर 10 हजार 287 तक पहुंच गई।
उन्होने बताया कि जेलों में बंदियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखकर सभी जिला अदालतों को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग प्रणाली से जोड़ा जा रहा है। इसके फलस्वरूप कई प्रकरणों में बंदियों को पेशी के लिए न्यायालय भेजने की जरूरत नहीं होगी। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से सुनवाई आसानी से होगी और प्रकरणों का जल्द से जल्द निराकरण किया जा सकेगा। इसके लिए भारत संचार निगम लिमिटेड (बी.एस.एन.एल.) के माध्यम से आठ जेलों और नौ जिला अदालतों में लीज लाइन का काम पूर्ण कर लिया गया है। इसके साथ ही नौ जेलों और 11 अदालतों के लिए लीज लाइन के द्वितीय चरण का कार्य शुरू हो चुका है।
श्री पैकरा ने यह भी बताया कि राज्य की 15 जेलों में बंदियों के कौशल उन्नयन की भी व्यवस्था की गई है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत इनमें से पांच केन्द्रीय जेलों, आठ जिला जेलों और दो उपजेलों में 33 विभिन्न ट्रेडों में बंदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक दो हजार 244 पुरूष बंदियों और 72 महिला बंदियों को मिलाकर कुल 2316 बंदी प्रशिक्षित हो चुके हैं। वर्तमान में 707 पुरूष और 90 महिला बंदियों को कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।