इस बार भारत में जेमिनिड मेटियोर शॉवर का दिन 14 और 15 दिसंबर तय किया गया। इस बारिश को बैंगलुरू वासी आसानी से देश सकेंगे। उल्कापिंडो की बारिश सुबह के 2 बजे से 3 बजे के बीच चरम पर होगी और 100 से अधिक उल्काएं धरती ओर आएंगी।जैसे कि हम बता चुके हैं कि बेंगलुरु वासी इशे बिना किसी इक्विपमेंट या टेलीस्कोप से केवल अपनी आंखों से देख सकेगा। भले ही आज का ये खुबसूरत नजारा आपने गंवा दिया हो, लेकिन आपके पास कल का दिन भी है, जब आप इसको देख सकते हैं।

जेमिनिड मेटियोर शॉवर को वर्ष के सबसे मेटियोर शॉवर में से एक माना जाता है। इस वर्ष, जेमिनीड्स 14 दिसंबर और 15 दिसंबर की रात को चरम पर होंगे। समय और तारीख के अनुसार, उल्काओं की बारिश लगभग 150 उल्का प्रति घंटे की दर से होगी। आइये जानते हैं कि जेमिनिड मेटियोर शॉवर क्या है और क्यों होता है।
जेमिनिड्स शावर क्या हैं?
जेमिनिड मेटियोर शॉवर एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) या ‘रॉक कॉमेट’ 3200 फेथॉन के पीछे छोड़े गए धूल भरे मलबे का के कारण होता है। ये उन प्रमुख उल्कापिंड की बारिश में से है जो धूमकेतु के कारण नहीं होती हैं। क्योंकि जब पृथ्वी उल्कापिंड 3200 फेटन द्वारा पीछे छोड़े गए धूल भरे रास्ते से गुजरती है, तो उल्कापिंड द्वारा छोड़े गए उल्कापिंडों के हिस्से हमारे ग्रह के ऊपरी वायुमंडल में जल जाते हैं और हमें जेमिनिड मेटियोर शॉवर के रूप में दिखाई देते हैं।
क्या है जेमिनिड मेटियोर शॉवर का कारण?
उल्काएं आमतौर पर धूमकेतुओं के टुकड़े होते हैं। जैसे ही वे तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, वे जल जाते हैं, जिससे एक शानदार जेमिनिड मेटियोर शॉवर बनता है।नासा ने जानकारी दी है कि उल्कापिंड धूमकेतु के बचे हुए कणों और क्षुद्रग्रहों के टुकड़ों से आते हैं। जब ये सूरज के चारों ओर आती हैं, तो अपने पीछे धूल का निशान छोड़ जाती हैं। हर साल पृथ्वी इन मलबे के निशानों से गुजरती है, जो बिट्स को हमारे वायुमंडल से टकराने देती है जहां वे आकाश में तेज औऱ रंगीन धारियां बनाते हुए दिखते हैं।
जानें कैसे देख सकेंगे ये नजारा?
वेदर चैनल ने जानकारी दी है कि एक घंटे में 100-150 उल्काएं गुजरेंगी। लेकिन प्रदूषण के कारण बेंगलुरु के लोग इसे नहीं देख पाएंगे। लेकिन अगर आप बेंगलुरू के पास हेसरघट्टा, बन्नेरघट्टा, देवनारायणदुर्गा और कोलार जैसे क्षेत्रों में चले जाते हैं, तो उल्कापिंडों की बारिश का अच्छा दृश्य दिखाई दे सकता है।
इन लोकेशन पर पहुंचने के बाद ऐसी जगह खोजें जहां कोई इमारत न हो। आपको शॉवर से 30 मिनट पहले वहां पहुंचना होगा ताकि आपकी आंखें अंधेरे के अनुकूल हो जाएं।
इसके लिए आपको किसी उपकरण की जरूरत नहीं होगी और आफ केवल अपनी आंखो से इसे देख सकेंगे।
 CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India
				 
			 
						
					 
						
					