वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में फैन्स को टीम इंडिया से बड़ी आस थी। हर किसी को 7 जून का बेसब्री से इंतजार था। 7 से 12 जून तक हर भारतीय क्रिकेट फैन टीवी पर टकटकी लगाए बैठा था। उम्मीद थी कि जो पिछले दस साल से नहीं हो पा रहा है, उसको कप्तान रोहित की पलटन इस बार करके दिखा देगी। हालांकि, उन करोड़ों फैन्स के हाथ सिर्फ और सिर्फ निराशा लगी।
टीम इंडिया का खिताबी मुकाबले में वही हाल हुआ, जो पिछले कई सालों से होता चला आ रहा है। कंगारू टीम के खिलाफ ना तो दिग्गज बल्लेबाजों का बल्ला बोला और ना ही गेंदबाज अपनी धार दिखा सका। ऑस्ट्रेलिया ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया और भारतीय टीम को सिर्फ हराया नहीं, बल्कि बुरी तरह से रौंदा। हालांकि, फाइनल हो या सेमीफाइनल। आईसीसी टूर्नामेंट के नॉकआउट में पिछले कई सालों से भारतीय टीम इस तरह से औंधे मुंह गिरती रही है। आखिर पूरे टूर्नामेंट में धमाल मचाने वाली टीम को बड़े मैचों में हो क्या जाता है। आइए आपको बताते हैं किन गलतियों के चलते हर बार टूट रहा है चैंपियन बनने का सपना।
टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज देते हैं धोखा
टीम इंडिया की सबसे बड़ी ताकत टीम का टॉप ऑर्डर माना जाता है। रोहित शर्मा विराट कोहली जैसे बल्लेबाजों पर नॉकआउट मैचों में बड़ा दारोमदार रहता है और हो भी क्यों ना। हालांकि, फाइनल या फिर सेमीफाइनल जैसे मैचों में इन बल्लेबाजों के बल्ले में जंग सा लग जाता है। भारत के टॉप ऑर्डर का हाल इस कदर बेहाल होता है कि टीम अपनी शुरुआती बैटर्स को शुरुआती ओवरों में ही गंवा देती है। इस वजह से पहले से ही कमजोर मिडिल ऑर्डर पर अधिक दबाव पड़ता है और बैटिंग ऑर्डर ताश के पत्तों की तरह बिखर जाता है।
खोखला मिडिल ऑर्डर
एक वक्त हुआ करता था कि जब वनडे में युवराज, धोनी और रैना जैसे बल्लेबाज टॉप ऑर्डर के फेल होने पर पारी को संभाल लिया करते थे। टेस्ट में यही काम वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ जैसे सरीखे बल्लेबाज करते थे। हालांकि, इन प्लेयर्स के जाने के बाद से भारत का मिडिल ऑर्डर पूरी तरह से खोखला नजर आता है। सच्चाई यह है कि इन खिलाड़ियों का सही विकल्प ही अब तक टीम नहीं खोज सकी है। आईसीसी के हर बड़े इवेंट में टीम के मध्यक्रम की पोल जरूर खुलती है और इसका झलक हाल ही में हमने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भी देखी।
हवा हो जाती है गेंदबाजों की धार
टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम ने अपने तेज गेंदबाजों के दम पर इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों को उनके घर में घुसकर हार का स्वाद चखाया है। वनडे और टी-20 में भी टीम इंडिया के फास्ट बॉलर्स की तूती बोलती है। हालांकि, इन गेंदबाजों की धार आईसीसी के नॉकआउट मैचों में आते ही छूमंतर हो जाती है। बल्लेबाजों का जीना हराम कर रहे भारतीय बॉलर्स की बड़े मैचों में जमकर धुनाई होती है। दुख बात यह रहती है कि इंडियन बॉलर्स विकेट के लिए भी तरसते हुए नजर आते हैं, जिसकी वजह से टीम विपक्षी टीम पर दबाव ही नहीं बना पाती है और उसका खामियाजा खिताब गंवाकर भुगतना पड़ता है।