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हनुमंत लला से अनुमति लेकर रामजन्मभूमि जाएंगे पीएम मोदी…

पीएम मोदी हनुमंत लला से अनुमति लेकर रामजन्मभूमि जाएंगे। पीएम मोदी सबसे पहले संकल्प लेकर देश को समर्पित करेंगे। इसके बाद रामलला का षोडशोपचार पूजन करेंगे। षोडशोपचार पूजन और महापूजन को मिलाकर गर्भगृह में कुल पूजा का समय 40 मिनट का होगा।

रामदुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे… पीएम नरेंद्र मोदी इसे सिद्ध करके ही 22 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि में प्रवेश करेंगे। मान्यता है कि अयोध्या में हनुमंत लला यहां के राजा के रूप में विराजमान हैं।

बिना उनकी अनुमति के यहां कोई शुभ काम नहीं होता है। इसी मान्यता के चलते प्रधानमंत्री सबसे पहले हनुमंत लला के दरबार में हाजिरी लगाएंगे। उनसे अनुमति लेंगे। फिर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए राम जन्मभूमि प्रस्थान करेंगे।

प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू होगा। अनुष्ठान में पीएम मोदी सबसे पहले संकल्प लेकर देश को समर्पित करेंगे। फिर रामलला का षोडशोपचार पूजन करेंगे। यह करीब 20 मिनट का होगा। षोडशोपचार पूजन व महापूजन को मिलाकर गर्भगृह में कुल पूजा का वक्त 40 मिनट का होगा।

22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकेंड का अति सूक्ष्म मुहूर्त होगा, जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकेंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड होगा। पूजन के दौरान गर्भगृह में 11 लोग मौजूद रह सकते हैं। पूजन आचार्य लक्ष्मीकांत व गणेश्वर द्रविड़ के निर्देशन में होगा।

हनुमान जी की अनुमति बिना नहीं मिलता दर्शन-पूजन का लाभ
वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि भगवान श्रीराम जब साकेत धाम जाने लगे तो उन्होंने उससे पूर्व हनुमान जी का राजतिलक किया था। हनुमान जी की अनुमति लिए बिना राम के दर्शन और पूजन का लाभ नहीं मिलता। माता सीता ने भी उन्हें अमरता का आशीर्वाद देते हुए कहा था अजर अमर गुन निधि सुत होऊ…।

समारोह में आठ से 10 हजार अतिथियों के आने की संभावना है। करीब 100 चार्टर्ड प्लेन से अतिथि आएंगे। एडीजी जोन पीयूष मोर्डिया ने बताया कि समारोह में आने वाले अतिथियों को विशेष परिचय पत्र दिया जाएगा।

अब तक निर्माण में लगा है सिर्फ ब्याज का पैसा
आपको बता दें कि देश-विदेश के रामभक्तों ने जब अपनी जेब खोली तो श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट को राम मंदिर बनाने के लिए लक्ष्य से करीब चार गुना समर्पण निधि मिल गई। इसी का नतीजा है कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए अब तक मंदिर का जितना निर्माण हो सका है, उस पर सिर्फ समर्पण निधि का ब्याज ही खर्च हुआ है।

ट्रस्ट के एक सदस्य ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए वर्ष 2020-21 में समर्पण निधि अभियान शुरू किया था। इसमें करीब 11 करोड़ लोगों से 900 करोड़ रुपये जमा करने का लक्ष्य रखा गया था। जबकि दुनिया भर के रामभक्तों ने राम मंदिर का सपना पूरा होने की खुशी में दिल खोलकर धन दिया।

उन्होंने बताया कि करीब 18 करोड़ लोगों ने पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा व एसबीआई भारतीय स्टेट बैंक के खाते में करीब 3,200 करोड़ रुपये समर्पण निधि जमा की है। ट्रस्ट ने इन बैंकों में पैसे की एफडी करा दी है।

इससे मिलने वाले ब्याज से ही मंदिर का वर्तमान स्वरूप तक का निर्माण हुआ है। हालांकि फर्श समेत कुछ अन्य कार्यों के लिए अब मूलधन से कुछ राशि निकालनी पड़ेगी। ऐसे में वर्ष 2026-27 तक मंदिर व इसके परिसर में बनने वाले विश्राम गृह, चिकित्सालय, भोजनशाला, गौशाला आदि के निर्माण में बमुश्किल पूरी समर्पण निधि खर्च हो सकेगी |

राम लला के दर्शन शुरू होते ही बढ़ता जाएगा खजाना
एक ट्रस्टी ने बताया कि ट्रस्ट के पास बैंकों में समर्पण निधि से लेकर खर्च की एक-एक पाई तक का हिसाब है। प्रत्येक स्तर पर लेनदेन पर नजर रखने के साथ सालाना ऑडिट होती है। रामभक्त अभी भी ट्रस्ट के खाते में सहयोग राशि जमा कर रहे हैं।

वहीं, रामलला के दर्शन शुरू होने के बाद रोजाना करीब 30 से 40 हजार श्रद्धालु आएंगे। ये मंदिर में जो भेंट चढ़ाएंगे, उससे भी ट्रस्ट के खजाने में रोजाना लाखों रुपये की आय होगी। इसका उपयोग मंदिर की व्यवस्थाओं के साथ ही समाज सेवा से जुड़े अन्य कार्यों पर भी करेगा। इसमें श्रद्धालुओं के ठहरने, आवास और भोजन की व्यवस्था भी शामिल हैं।