जनसंघ व भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलदेव राज चावला का बुधवार सुबह आकस्मिक निधन हो गया। देर शाम स्थानीय श्री दुर्ग्याणा शिवपुरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। डॉ. चावला के ज्येष्ठ पुत्र न्यूरो सर्जन डॉ. जयंत चावला ने मुखाग्नि दी। डॉ. चावला को पंजाब सरकार की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
डॉ. बलदेव राज चावला का जन्म 17 जनवरी 1936 को हुआ था। बुधवार को अपने जन्म दिवस वाले दिन सुबह चार बजे उन्होंने संसार को अलविदा कह दिया। उनका सारा जीवन समाजसेवा व मानवता को समर्पित रहा। डॉ. चावला बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए थे। उन्होंने संघ में अनेक दायित्वों का निर्वहन किया और सक्रिय राजनीतिक का हिस्सा भी बने। इसके साथ ही उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और डॉक्टरी की डिग्री हासिल की। डिग्री हासिल करने के बाद अमृतसर नगर पालिका में हेल्थ ऑफिसर के पद पर जनता की सेवा शुरू की।
आपातकाल के दौरान पार्टी आदेशानुसार अपने सरकारी पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद सरकार ने उन्हें जेल भेज दिया था। डॉ. चावला ने उन दिनों की याद में दो पुस्तकें भी प्रकाशित लिखी थीं। डॉ. चावला श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में भी सक्रिय रहे और 1990 व 1992 में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में जेल भी गए थे। डॉ. चावला ने दो बार लोकसभा और दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से केंद्रीय राज्य मंत्री सोम प्रकाश और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की तरफ से भाजपा पंजाब के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पठानकोट से मौजूदा विधायक अश्वनी शर्मा ने डॉ. बलदेव राज चावला को श्रद्धासुमन अर्पित किए। श्री दुर्ग्याणा कमेटी की तरफ से प्रो. लक्ष्मीकांता चावला और अन्य कई नेताओं ने डॉ. चावला को श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व पंजाब प्रांत कार्यवाह देवेंद्र गुप्ता का निधन
उधर, जालंधर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पंजाब प्रांत के पूर्व प्रांत कार्यवाह देवेंद्र गुप्ता का बुधवार सुबह पांच बजे जालंधर में देहांत हो गया। वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और जालंधर के एक निजी अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे। 21 सितंबर 1936 को पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान) में जन्मे 88 वर्षीय देवेंद्र गुप्ता प्रचारक के तौर पर संघ में अपनी सेवाएं दे चुके थे और वर्तमान में जालंधर संघ कार्यालय में संन्यास आश्रम का निर्वहन कर रहे थे।
उनका परिवार पाकिस्तान से आकर कादियां में बसा था। कादियां में पढ़ाई के दौरान इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा में मेरिट लिस्ट में स्थान प्राप्त किया था। इनकी प्रतिभा को देख कर संघ के कार्यकर्ताओं ने इनको संगठन से जोड़ा और वे जल्द ही संघ की गतिविधियों में सक्रिय हो गए। वह कबड्डी के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे।
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