शिवभक्तों की आस्था के सबसे बड़े उत्सव महाशिवरात्रि पर काशीपुराधिपति अनवतर 45 घंटे तक के लिए जागेंगे। 8 फरवरी की सुबह मंगला आरती के बाद देवाधिदेव महादेव की शयन आरती नौ फरवरी की रात होगी। इस दौरान मंदिर के चारों द्वार से भक्तों के लिए झांकी दर्शन की व्यवस्था होगी।
अयोध्या में रामलला के नूतन-मनोहर धाम में उमड़ रही भीड़ और फिर काशी का रूख कर रहे देश दुनिया के भक्तों की आस्था को देखते हुए महाशिवरात्रि पर सात लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ का आंकलन किया गया है।
आस्था के महाआयोजन के लिए काशी विश्वनाथ धाम में व्यवस्था तैयार की जा रही है। सुगम दर्शन और आरती की व्यवस्था पर मंदिर प्रशासन मंथन में जुटा है और तीन मार्च तक इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। उधर, भीड़ को देखते हुए प्रशासन वीआईपी के लिए जलमार्ग से ही धाम की यात्रा कराएगा। इसके लिए भी नमो और रविदास घाट पर जलयानों की व्यवस्था की जा रही है।
गौरा से ब्याह के उत्सव में बाराती और घराती बनने की पंरपरा के साथ ही आयोजन की तैयारियों को अंतिम रुप दिया जा रहा है। महाशिवरात्रि पर किसी भी भक्त को स्पर्श दर्शन की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही भक्त गर्भगृह में भी प्रवेश नहीं करेंगे। गर्भगृह के बाहर से भक्त सिर्फ बाबा विश्वनाथ का झांकी दर्शन करेंगे। वीआईपी, सुगम दर्शन और दिव्यांगों के लिए मंदिर प्रशासन ने अलग द्वार से मंदिर जाने की व्यवस्था की है।
महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए कुल चार प्रवेश द्वार निर्धारित किए गए है। मैदागिन से आने वाले भक्त छत्ताद्वार के 20 मीटर पहले से मंदिर चौक से मंदिर के पूर्वी गेट से दर्शन करेंगे और उनकी वापसी मणिकर्णिका गली द्वार की तरफ से होगी। वहीं गोदौलिया से आने वाले भक्त बांस फाटक, धुंडीराज गणेश से मंदिर के पश्चिमी गेट से प्रवेश कर दर्शन करेंगे।
इसके अलावा वीआईपी, सुगम दर्शन, दिव्यांगजन छत्ताद्वार से प्रवेश कर मंदिर के दूसरे गेट पर दर्शन कर उसी से वापस हो जाएंगे। स्थानीय लोग सरस्वती फाटक गली से मंदिर में दक्षिणी गेट से दर्शन करेंगे। मंदिर प्रशासन जल्द ही इन प्रस्तावों पर बैठक कर अंतिम निर्णय लेगा।
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