इसके लिए निगम सचिव कार्यालय की ओर सबसे पहले चुनाव की उपयुक्त तारीखों का चयन कर मेयर के पास भेजा जाएगा। मेयर जो तारीख उपयुक्त मानेंगी, इसके मुताबिक ही निगम सचिव कार्यालय आगे की प्रक्रिया शुरू करेगा।
दिल्ली के अगले मेयर चुनने की प्रक्रिया अगले हफ्ते शुरू होने की संभावना है। इसके लिए निगम सचिव कार्यालय की ओर सबसे पहले चुनाव की उपयुक्त तारीखों का चयन कर मेयर के पास भेजा जाएगा। मेयर जो तारीख उपयुक्त मानेंगी, इसके मुताबिक ही निगम सचिव कार्यालय आगे की प्रक्रिया शुरू करेगा।
एमसीडी का कार्यकाल पांच साल के लिए होता है, लेकिन मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है। हर साल एक अप्रैल को एमसीडी का वित्तीय वर्ष शुरू होने के साथ शुरू होता है और 31 मार्च को पूरा होता है। दिल्ली नगर निगम अधिनियम यह भी निर्धारित करता है कि पहले साल में मेयर के रूप में एक महिला, दूसरे में सामान्य और तीसरे साल में एक अनुसूचित जाति के सदस्य का चुनाव करना होता है। मौजूदा वित्त वर्ष में अनुसूचित जाति का मेयर चुना जाना है। मौजूदा समय मेयर डॉक्टर शैली ओबरॉय का कार्यकाल पूरा हो गया है। लेकिन डीएमसी अधिनियम के मुताबिक दिल्ली को जब तक अगला मेयर नहीं चुना जाता, मेयर का कार्यभार वही संभालेंगी। चुनाव की तारीख तय हो जाने पर निगम सचिव कार्यालय मेयर पद के लिए नामांकन करने के लिए 10 दिन का समय देगा।
शुरू होगी पीठासीन अधिकारी नामित करने की प्रक्रिया
मेयर, डिप्टी मेयर का चुनाव कराने की जिम्मेदारी पीठासीन अधिकारी की होती है। पीठासीन अधिकारी नामित करने का अधिकार उपराज्यपाल के पास होता है, लेकिन तत्कालीन मेयर यदि अगले मेयर चुनाव में दोबारा प्रत्याशी नहीं हैं तो ऐसे में निगम में परंपरा रही है कि पूर्व मेयर को ही पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जाता है। लेकिन इसपर आखिरी निर्णय लेने का अधिकार एलजी कार्यालय के पास है। इसलिए चुनाव की तारीख तय होते ही निगम सचिव कार्यालय पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए फाइल आगे बढ़ाएगा। फाइल निगम आयुक्त कार्यालय से होते हुए दिल्ली शहरी विकास विभाग के पास जाएगी, आखिर में एलजी कार्यालय जाएगी।
सदन की पहली बैठक में होना है चुनाव
दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 35 के मुताबिक एमसीडी को हर एक वित्तीय वर्ष की पहली बैठक में मेयर का चुनाव कराना होता है। सदन में स्पष्ट बहुमत वाली पार्टी पार्षद का नाम मेयर पद के लिए मनोनीत कर सकती है। लेकिन, यदि कोई विपक्षी दल फैसले का विरोध करता है और अपने उम्मीदवार को नामांकित करता है, तो मेयर का चुनाव होता है। लेकिन सदन में यदि केवल एक ही उम्मीदवार होता है, तो उन्हें मेयर नियुक्त किया जाता है। यहां एक विशेषता है कि निगम चुनाव में दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है, इसलिए कोई भी पार्षद किसी भी उम्मीदवार को वोट दे सकता है। एमसीडी में आम आदमी पार्टी के पास बहुमत है।
महापौर और उपमहापौर चुनाव के लिए वोटिंग का अधिकार
250 निर्वाचित पार्षद
7 लोकसभा सांसद
3 राज्यसभा सदस्य
14 विधायक
किसके पास हैं कितने सदस्य
आम आदमी पार्टी : 134 व 1 निर्दलीय
राज्यसभा सदस्य: 3
विधायक: 13
भाजपा : 104 व 1 निर्दलीय
सांसद : 7
विधायक : 1
मनोनीत सदस्य : 10
कांग्रेस : 9
निर्दलीय: 1