मांब लिंचिंग जैसी बढ़ती दूरियों की डराती खबरों के बीच मेल-मिलाप की अनूठी कोशिशें भी देश में जारी है।उत्तरप्रदेश के सुलतानपुर में अंकुरण फाउन्डेशन के जरिए हो रहा है।संस्था से जुड़े आरिफ खान पिछले साल भर के भीतर छह लावारिस हिंदुओं के शवों का मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार कर चुके हैं। कडुवाहट और बढ़ती दूरियों की डराने वाली खबरों को दर किनार करते हुए आरिफ और उनके चालीस-पचास साथी सेवा-सहयोग के कामों के जरिये लोगों को जोड़ने में जुटे हैं।
साल भर पहले इन युवाओं ने अंकुरण फाउन्डेशन का गठन किया। डॉ.सुधाकर सिंह, डॉ.आशुतोष श्रीवास्तव आदि भी इससे जुड़े। कोई सरकारी मदद नही और कोई एजेंडा नही। अपने रोजगार या फिर पढ़ाई में जुटे ये युवक दूसरों की मदद के लिए खूब समय निकाल लेते हैं और सेवा के किसी कार्य मे उन्हें कोई परहेज़ नही। संस्था ने साल भर में जिन सात लावारिसों का दाहसंस्कार किया, उनमे छह को आरिफ ने मुखाग्नि दी। अभिषेक सिंह बताते हैं कि सातवे को मुखाग्नि उन्होंने और डॉ आशुतोष श्रीवास्तव ने दी। उस दिन आरिफ भाई बाहर थे। 40 वर्षीय आरिफ में सेवा-सहयोग का जज़्बा बचपन से है। कहते हैं कि मदद में मज़हब बीच मे कहाँ आता है? उन पर परिवार की जिम्मेदारी है । उनकी नेक कोशिशों में उनका परिवार साथ है। उन्हें जानने वाले और भी लोग उन्हें हौसला देते हैं।
कम समय के भीतर इन युवाओं की कोशिशें उत्साहित करने वाली हैं। अब तक वे लगभग पांच सौ यूनिट रक्तदान कर चुके हैं। पंद्रह अगस्त को राम नरेश त्रिपाठी सभागार में वे रक्तदान के लिए बड़ा शिविर लगा रहे है। फिलहाल 151 रक्तदाता आगे आये हैं। यह सूची अभी और लंबी होगी। फेसबुक पर संस्था के 38 हजार मित्र है। इनमे अनेक दुर्लभ ग्रुप के रक्त की जरूरत पर काम आते हैं। उनसे सबसे बड़ी सहायता भटके हुए लोगों को घर पहुंचाने में मिलती है। अभिषेक के मुताबिक सीतामढ़ी और महाराष्ट्र के दूरस्थ इलाकों के कुछ लोग फेसबुक के मित्रों के जरिये घर पहुंच सके। काया कल्प कार्यक्रम के तहत बीमार-घायल लावारिसों का इलाज, उनके घावों की सफाई और उन्हें नहलाने-धुलाने का काम ये युवा आगे बढ़ कर करते हैं।
वे कक्षा 11-12 की निशुल्क कोचिंग चलाते हैं। दर्जनों बच्चे इसमें पढ़ रहे हैं। 13 बच्चों की पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी ली गई है। इनमे सात की व्यवस्था अकेले संतोष श्रीवास्तव की सहायता से होती है। बुक बैंक से चालीस बच्चों को उनकी जरूरत की पूरी किताबें मिल गईं। उसके और विस्तार की कोशिशें जारी हैं। संस्था ने एक कपड़ा बैंक भी बनाया है। सूचना पर संगठन के सदस्य घरों से नए-पुराने कपड़े ले लेते है। इससे तमाम गरीबों को वस्त्र मिल सके। अग्निकांड और अन्य दैवी आपदाओं के समय इस प्रयास से काफी लोगों को सहायता मिली।
वृक्षारोपण और स्वच्छता की दिशा में भी युवाओं की कोशिशें निरंतर जारी है। अभिषेक, कुलदीप और मुकेश पिछले काफी समय से बस स्टेशन स्थित चंद्र शेखर आजाद पार्क की साफ-सफाई में लगे रहते थे। नगर पालिका परिषद का यह पार्क उपेक्षित पड़ा था। होर्डिंग्स ने आजाद की प्रतिमा को भी छिपा लिया था। पार्क का फौव्वारा लम्बे समय से ठप था। ये युवक जिलाधिकारी विवेक और पालिकाध्यक्ष बबिता जायसवाल से मिले। पार्क को गोद लेने की इच्छा जाहिर की। अनुमति मिलते ही साफ-सफाई में जुट गए।
अभिषेक, सत्यम,अनुराग बताते हैं कि फौव्वारे के टैंक से कई बोरे शराब की खाली बोतले और नशीले इंजेक्शनों की खेप निकाली गई। आजाद की प्रतिमा को नई चमक दी । पार्क की रेलिंग,गेट की पेंटिंग की। उन पर प्रेरक वाक्य लिखे। बन्द पड़े फव्वारे के उपकरण जुटाए। पौधे रोपे।ज्यादा से ज्यादा काम खुद किये ताकि कम से कम पैसे की जरूरत पड़े । युवकों ने अगस्त क्रांति दिवस के मौके पर इसे आजाद अंकुरण वाटिका नाम दिया। उसे नए कलेवर में नगर को समर्पित किया। नगर विधायक सूर्य भान सिंह, विधान परिषद सदस्य शैलेन्द्र सिंह, पालिकाध्यक्ष बबिता जायसवाल, जिला पंचायत सदस्य अजय जायसवाल, समाजसेवी करतार केशव यादव , डॉ. जे पी सिंह, डॉ.आर ए वर्मा, सी एम ओ डॉ. सी बी एन त्रिपाठी, रवि शंकर एडवोकेट, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप सिंह,बलदेव सिंह सहित बड़ी संख्या में नगरवासी युवाओं के उत्साहवर्धन के लिए इस मौके पर मौजूद थे। सावन की इस गहराती शाम में बला की उमस थी। रोशनी से नहाए साफ- सुथरे, सजे- संवरे पार्क के फव्वारों से उठती धारों की छीटों में भीगते लोग सुकून पा रहे थे। युवाओं की मेहनत को सराह रहे थे। इन युवाओं का संकल्प है कि वे पार्क के रख रखाव को लेकर सक्रिय रहेंगे। इस काम मे उन्हें नागरिकों की मदद चाहिए।
सम्प्रति- लेखक श्री राज खन्ना वरिष्ठ पत्रकार है।श्री खन्ना के आलेख विभिन्न प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते है।