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यूएसएड फंड को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर किया पलटवार

नयी दिल्ली, 21 फरवरी।कांग्रेस ने यूएसएड फंड को लेकर पलटवार करते हुए कहा कि मोदी सरकार यूएसएड से फंड लेकर उसे अस्थिर करने का प्रचार कर रही है लेकिन सच यह है कि खुद सरकार के मंत्री अमेरिकी ऐड एजेंसी के अधिकारियों से मुलाकात कर फंड लेते रहे हैं।

   कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि श्री मोदी नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने अमेरिका गये। जब राष्ट्रपति ट्रंप पारस्परिक टैरिफ लगाने और ब्रिक्स समूह खत्म करने की बात कर रहे थे तो श्री मोदी सिर्फ मुस्कुरा रहे थे। इस तरह हमारे प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकी सुनते रहे और फिर चुपचाप स्वदेश आ गये और अब कह रहे हैं कि उनकी सरकार को अस्थिर करने के लिए अमेरिका से पैसे लिए हैं। एक हफ्ते से यह कहानी चल रही है कि यूएसएड ने मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए 21 मिलियन डॉलर दिए। इतनी सुरक्षा एजेंसियों के बाद भी 21 मिलियन डॉलर आने की बात शर्मनाक है। इस पर मोदी सरकार से जवाब दिया कि पैसा 2012 में यूपीए के समय आया था। ऐसे में क्या 2014 में भाजपा इसी पैसे से जीती थी।”

   उन्होंने कहा “सच्चाई ये है कि यूएसएड के ये 21 मिलियन डॉलर बंगलादेश के एनजीओ को गए हैं। हम यूएसएड या फंडिंग एजेंसी के खिलाफ नहीं हैं। देश में फंडिंग के लिए कानून हैं जिनके तहत भाजपा से जुड़े एनजीओ भी फंड लेते हैं लेकिन जानबूझकर सिर्फ कांग्रेस का नाम लेना गलत है।श्री खेड़ा ने कहा कि जब स्मृति ईरानी यूएसएड की ब्रांड एंबेसडर थीं और सिलेंडर लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करती थीं तो क्या वो प्रदर्शन यूएसएड करवा रहा था। अन्ना हजारे ने दिल्ली में आंदोलन किया तब यहां हमारी सरकार हारी, फिर वो अमेरिका गए और रोड शो किया। फोर्ड फाउंडेशन का पैसा आता था उसमें आरएसएस भी शामिल था।सच्चाई ये भी है कि ट्रंप से श्री मोदी एक तरफा रिश्ता निभाते हुए देश की साख पर बट्टा लगा रहे हैं। एक समय भारत के प्रधानमंत्री के पद की ऐसी साख होती थी कि अमेरिका तक को पीछे हटना पड़ता था लेकिन आज अमेरिका से बंगलादेश में 21 मिलियन डॉलर आ गए, पर श्री मोदी को कुछ पता ही नहीं। ये आपका कैसा सूचना तंत्र है। ये आपका कैसा इंटेलिजेंस है। बंगलादेश में आई अस्थिरता का असर क्या भारत पर नहीं पड़ेगा।”

   श्री खेड़ा ने आरोप लगाया “मोदी सरकार के मंत्री लगातार यूएसएड के अधिकारियों से मुलाकात करते हैं। वर्ष 2024 में पीयूष गोयल 2030 तक ‘जीरो कार्बन उत्सर्जन’ के लिए यूएसएड से पैसे लेते हैं। दस नवंबर 2022 को देवेंद्र फडणवीस यूएसएड से आपसी सहयोग की चर्चा करते हैं जबकि 2016 में नोटबंदी से ठीक पहले श्री मोदी यूएसएड से कैशलेस इकोनॉमी पर समझौता करते थे। तो क्या ये नोटबंदी अमेरिका के कहने पर हुई। कोविड में श्री मोदी ने यूएसएड से 100 मिलियन डॉलर लिया, तो क्या श्री मोदी भी उनके हाथों में खेल रहे हैं। भाजपा को बोलने से पहले सोच लेना चाहिए और संघ का इतिहास देख लेना चाहिए।”

  उंन्होने कहा “इंदिरा गांधी जी जब प्रधानमंत्री थीं, तब अमेरिका ने जय प्रकाश के पूरे आंदोलन की खूब तारीफ की थी। सच ये है कि आरएसएस के दो प्रमुख नेता अमेरिका जाकर इंदिरा जी के खिलाफ उल्टी-सीधी बातें अखबारों में छपवाते थे। अमेरिका, इंदिरा जी से बंगलादेश के समय हुए अपमान का बदला लेना चाहता था। ऐसे में संघ इंदिरा जी से बदला लेने के लिए अमेरिका के हाथ की कठपुतली बन गया। आरएसएस ने नेहरू जी के खिलाफ आंदोलन किया, उसकी फंडिंग भी अमेरिका कर रहा था। इसका खुलासा खुद अमेरिका के एक जासूस ने किया है कि वे संघ को पैसा दे रहे थे। संघ दशकों से अमेरिका से पैसे ले रहा है ताकि कांग्रेस की सरकारों को अस्थिर किया जा सके- ये कहना सीआईए के एक एजेंट का है। आरएसएस ने न सिर्फ नेहरू जी की सरकार को गिराने के लिए अमेरिका से पैसे लिए, बल्कि उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे कामराज जी की हत्या की साजिश भी रची।”