रायपुर 09 मार्च।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरूवा, घुरवा और बारी‘ ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को महात्मा गांधी के आदर्शो के अनुरूप बताते हुए राज्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास एवं उत्थान के क्षेत्र में एक ऐसा माडल बनाने को कहा जो पूरे देश के अनुकरणीय हो।
श्री बघेल ने आज जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) के प्रभावी क्रियान्वयन पर एक दिवसीय परिचर्चा सह सम्मेलन के शुभारम्भ सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) और कार्पाेरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा राशि एवं कार्य प्रभावित क्षेत्रों एवं वहां के नागरिकों के विकास एवं कल्याण के लिए किया जाना चाहिए जिससे वहां के नागरिकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आए और जीवन स्तर सुधरे।
उन्होने कहा कि जिला खनिज न्यास के कार्यों की जिलों से लेकर सदन तक काफी चर्चा और आलोचना की गई है। यह बात सामने आई है कि जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) की काफी बड़ी राशि का कार्य किसके लिए किया जा रहा था, क्यों किया जा रहा और इसकी क्या आवश्यकता थी,यह बातें स्पष्ट नहीं है। इसके तहत कार्यो को स्वीकृत करने के लिए मांपदंडों को भी दरकिनार किया गया और गाइडलाईन का पालन नहीं करते हुए अपने हिसाब से एजेंडा बनाकर कार्य किया गया।
उन्होंने कहा कि इस राशि से बड़े बड़े भवन बना दिए गए, अतिरिक्त कमरें बना दिए गए, स्वीमिंग बना दिए गए और कलेक्टरेट में लिफ्ट तक बना दिया गया। प्रभावित क्षेत्रों और नागरिकों को जो लाभ मिलना चाहिए था वह उनको नहीं मिला। उन्होंने कहा कि इस राशि से अगर क्षेत्र के बच्चे नौकायान, तीरंदाजी आदि सीख लेते तो वे आज शायद नेशनल स्तर तक पहुंच सकते थे, जो प्लेटफार्म वहां के युवाओं, बच्चों और नागरिकों को मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसा ही अच्छा प्लेटफार्म मिलने के कारण तीजन बाई ने पंडवानी का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक ऊंचा किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला कलेक्टरों को भवन आदि बनाने में संतुष्टि या उपलब्धि का अहसास हो सकता हो लेकिन अगर उनके कार्यो से प्रभावित क्षेत्रों के जीवन स्तर को ऊंचा उठानें को मदद मिलती है उन्हें आजीविका का साधन मिलता है और उनके स्वास्थ्य एवं शिक्षा को बेहतर बनाने का मौका मिलता है तो वे जीवन भर कलेक्टरों को याद करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खदान क्षेत्रों में प्रायः भूजल स्तर नीचे चला जाता है। छत्तीसगढ़ में बरसात के पानी और भू-गर्भ जल की कमी नही है लेकिन अब यह एक गंभीर समस्या बनकर उभर रही है। हमें चाहिए कि डीएमफ की राशि का उपयोग प्रभावित क्षेत्रों के नागरिकों के हित में हो तथा पेयजल, स्वास्थ्य और रोजगार दिलाने के लिए उपयोग में आए।