
प्रयागराज, 03 सितम्बर।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी की पुनरीक्षण याचिका पर बुधवार को सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
यह याचिका वाराणसी सत्र न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दाखिल की गई थी, जिसमें अमेरिका यात्रा के दौरान सिख समुदाय पर कथित टिप्पणी के मामले में मजिस्ट्रेट को पुनः सुनवाई का निर्देश दिया गया था।मामला नागेश्वर मिश्रा नामक व्यक्ति की याचिका से जुड़ा है। उन्होंने वाराणसी की अदालत से राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी, जिसे मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया था। बाद में सत्र न्यायालय ने 21 जुलाई 25 को मजिस्ट्रेट को मामले की पुनः सुनवाई करने का आदेश दिया। इसी आदेश को चुनौती देते हुए गांधी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति समीर जैन की एकलपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतिम निर्णय आने तक मजिस्ट्रेट अदालत में आगे की कार्यवाही नहीं की जाएगी।
गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी ने दलील दी कि उनका भाषण गलत संदर्भ में पेश किया गया है और कुछ शब्दों के आधार पर उनकी नीयत पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी भाषण के एक-एक वाक्य पर विचार करना उचित नहीं है, बल्कि पूरे भाषण को संदर्भ में देखना चाहिए।
वहीं राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि राहुल गांधी विपक्ष के नेता हैं और विदेश में दिया गया उनका बयान विपक्ष की आधिकारिक आवाज माना जाएगा। इसलिए मजिस्ट्रेट को स्वतंत्र रूप से यह तय करने दिया जाना चाहिए कि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है या नहीं।
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