छत्तीसगढ़ के सुकमा का नाम आते ही जेहन में घने जंगल, दुर्गम पहाड़ियां और नक्सली हिंसा की तस्वीर उभरकर सामने आती है। लेकिन इसी सुकमा के एक छोटे से गांव वीरागंगलेर में अब तस्वीर बदल रही है। जहां कभी बंदूक की गूंज सुनाई देती थी, वहीं अब विकास की उम्मीदों की हलचल सुनाई देने लगी है। बारिश से भीगी पगडंडियों पर चलते हुए सुरक्षा बलों ने यहां नया सुरक्षा कैंप खड़ा किया है। यह सिर्फ ईंट–पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि उन ग्रामीणों के लिए जीवनरेखा है, जो दशकों से अंधेरे में जी रहे थे।
सुकमा के नक्सल प्रभावित क्षेत्र ग्राम वीरागंगलेर में जिला पुलिस प्रशासन ने नया सुरक्षा कैंप स्थापित कर एक बड़ी रणनीतिक सफलता हासिल की है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और भारी मानसून के बीच भी सुरक्षाबलों ने यह कैंप खड़ा कर अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया। कैंप की स्थापना से मरईगुड़ा से किस्टाराम तक गोलापल्ली मार्ग के जरिए सीधा संपर्क स्थापित हो गया है। इससे न केवल आवागमन में आसानी होगी बल्कि दूरस्थ इलाकों में शासन की विकास योजनाओं तक ग्रामीणों की पहुंच भी बढ़ेगी।
नवीन सुरक्षा कैंप के जरिए अब स्थानीय लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और मोबाइल नेटवर्क जैसी मूलभूत सुविधाओं का लाभ मिलने का रास्ता खुल गया है। क्षेत्र के ग्रामीणों में इस कदम को लेकर उत्साह और उम्मीद की नई लहर देखी जा रही है। वर्ष 2024 से अब तक सुकमा जिले में कुल 15 नए कैंप स्थापित किए जा चुके हैं। इस दौरान नक्सल उन्मूलन अभियान में तेजी आई है, जिसके परिणामस्वरूप 518 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, 63 मारे गए और 447 गिरफ्तार किए गए।
विशेषज्ञों का मानना है कि वीरागंगलेर में नया कैंप न केवल नक्सलियों की अंतर्राज्यीय गतिविधियों पर अंकुश लगाएगा बल्कि क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को भी पूरी तरह बदलने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
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