
(प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर विशेष)
गुजरात के वडनगर का छोटा सा शहर अभी भी सुबह की धुंध में सो रहा था, तभी एक हल्की सी रोशनी संकरी गलियों को रोशन कर रही थी। एक साधारण से घर के अंदर, हीराबेन मोदी ने चुपचाप माचिस जलाई और तेल का दीया जलाया। उसकी टिमटिमाती लौ मिट्टी की दीवारों पर एक गर्म रोशनी डाल रही थी, और जलते हुए तेल की खुशबू भोर की ताज़ी हवा में घुल-मिल रही थी। उनके बगल में, एक छोटा लड़का आँखें मल रहा था, अपनी माँ की आकृति को देख रहा था, जो प्रार्थना में हाथ जोड़े हुए थीं।
वह लड़का नरेंद्र था, उनकी तीसरी संतान। वह अक्सर दूसरों से पहले जाग जाता था, आदत से नहीं, बल्कि आश्चर्य से। वह पालथी मारकर बैठा रहता, अपनी माँ के चेहरे पर शक्ति और शांति को देखता रहता। उन खामोश सुबहों में, जब हीराबेन अपने परिवार की भलाई के लिए प्रार्थना करती थीं, नरेंद्र अपने पहले सबक सीख रहा था: अनुशासन, समर्पण और कर्तव्य।
यही लड़का नरेंद्र दामोदरदास मोदी आज इस देश का प्रधानमंत्री है। पूरा भारत इनके जन्मदिन को सेवा पखवारा के रूप में मना रहा है, जो उनके जन्मदिन 17 सितम्बर से लेकर 2 अक्टूबर तक चलेगा।
वर्ष 2002 से गुजरात के राजनैतिक क्षितिज पर एक सितारे का उदय हो चुका था। इससे पहले किसी को नहीं पता था कि ये व्यक्ति इतनी ऊंचाई तक पहुंचेगा कि एक दिन पूरे देश को दिशा देगा और पूरे विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनेगा तथा दुनिया की महाशक्तियां अपने मसले सुलझाने के लिए उससे मध्यस्थता का आग्रह करेंगी। इस सितारे का नाम है नरेंद्र दामोदरदास मोदी। गांधी और पटेल की माटी में 17 सितम्बर को पैदा हुए इस व्यक्ति से मेरी पहली मुलाकात एकता यात्रा के समय हुई थी, जब भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में यह यात्रा सुल्तानपुर आयी थी। उस यात्रा के संयोजक नरेन्द्र मोदी जी ही थे। मैं उस समय भारतीय जनता पार्टी का जिलाध्यक्ष था और मैंने एकता यात्रा की स्मारिका उन्हें भेंट की थी। उनकी गाड़ी में (रथ में) जितने लोग साथ चल रहे थे, उनके लिए भोजन के पैकेट भी दिए थे। फिर हम एकता यात्रा में ही जम्मू में 24 जनवरी 1992 में मिले। जम्मू में आयोजित विशाल जनसभा की व्यवस्था उन्हीं की देख रेख में थी। उस वर्ष गणतंत्र दिवस पर श्रीनगर के लाल चौक में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का हमने संकल्प लिया था। आतंकवादी नहीं चाहते थे की कोई भारत का तिरंगा वहां फहराये। इसलिए वहां की दीवारों पर उन्होंने लिख रखा था, “जिसने अपनी मां का दूध पिया है वह यहां तिरंगा फहराकर दिखाए”। मुझे याद है कि उस समय 24 जनवरी को मंच से ही मोदी ने आतंकियों को ललकार कर चेतावनी दी थी, ” हम झंडा फहराने जा रहे हैं, अगर तुमने अपनी मां का दूध पिया हो तो सामने आकर रोक लो”। हमने तो अपनी मां का दूध पिया था और आतंकियों के गढ़ लाल चौक में तिरंगा फहराकर लौटे। यात्रा के समापन के बाद बीच बीच में कई अवसरों पर, बैठकों में, सभाओं में या अन्य कार्यक्रमों में उन्हें सुनने का अवसर मिलता रहा और मिलने का भी। पर व्यक्तिगत भेंट और परिचय 2014 में ही हुआ।
मोदी जी पहले से ही लोकप्रिय हो चुके थे, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में विकास का जो मॉडल उन्होंने दिया, उसकी चर्चा और प्रशंसा तो पूरी दुनिया में थी ही, पर जब उन्हें हमारी पार्टी ने प्रधानमंत्री के रूप में घोषित किया तो उनकी लोकप्रियता सबके सर चढ़ कर बोलने लगी। 2014 के पूरे चुनाव में सबसे अधिक सभाएँ उन्हीं की हुईं। हर लोकसभा का प्रत्याशी चाहता था कि एक सभा उसके क्षेत्र में अवश्य हो। इसी सिलसिले में उनकी सभा अमेठी लोकसभा में लगी थी। अमेठी तो वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय अखाड़ा बना हुआ था, जहाँ गाँधी परिवार का राज चलता था।इस बार हमने बहुत ही दमदार प्रत्याशी स्मृति ईरानी के रूप में उतारा था। इसी सभा को सम्बोधित करने मोदी जी आये थे। मैं उन दिनों अमेठी जिले का प्रभारी था, पर चुनावी दृष्टि से सुल्तानपुर लोकसभा का मुझे पालक बना दिया गया था, जहाँ वरुण गाँधी जी प्रत्याशी थे। मोदी जी सुल्तानपुर अमहट हवाई पट्टी पर जहाज से उतरे और यहाँ से उन्हें हेलीकाप्टर से अमेठी जाना था। हमने सुल्तानपुर में ही उनका स्वागत किया और वाराणसी के पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष के नाते विधिवत परिचय भी हुआ।
2014 का चुनाव मोदी जी वाराणसी से लड़ रहे थे और सभी पार्टियों के विपक्षी नेता उन्हें हराने में जुटे थे। यहां तक कि स्वयं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल भी लोकसभा के लिए वाराणसी से ही ताल ठोंक रहे थे और उन्हें तथा उनकी टीम को लग रहा था कि वह मोदी जी को हराकर इतिहास कायम करेंगे। पर पूरे वाराणसी लोकसभा में चाहे भाजपा कार्यकर्ता हों, जनता हो सभी मोदी जी को अपना सांसद बनाना चाहते थे। मैं भी सुल्तानपुर का चुनाव निपटा कर वाराणसी लोकसभा में चला गया था। मेरा तो मूलनिवास ही वाराणसी है और वाराणसी में ही मैं दो टर्म यानी लगभग 6 वर्ष क्षेत्रीय अध्यक्ष रहा। वाराणसी के एक-एक कार्यकर्ता से बहुत गहराई से जुड़ा हुआ था। मेरा पूरा गांव एक प्रकार से वाराणसी में ही बस गया है। मैंने घर घर जाकर सभी से संपर्क किया था। सम्पर्क क्या था, लोग मोदी जी के लिए पागल थे। कोई कुछ भी न करता तो भी मोदी जी वैसे ही जीतते। कहां गुजरात, कहां वाराणसी दोनों दो छोर पर थे, पर मोदी जी ने बनारस आने के बाद से ही मां गंगा की गोद में जैसे जगह पा ली हो। उन्होंने कहा भी कि मैं यहां आया नहीं हूं, मुझे मां गंगा ने बुलाया है। इन्हीं बातों ने उन्हें बनारस वालों को अपना बना लिया। वाराणसी लोकसभा मोदी जी ने भारी मतों से जीत कर इतिहास कायम किया। अरविंद केजरीवाल सहित सारे विपक्षी धराशाई हो गए। अब इस देश के क्षितिज पर प्रधानमंत्री के रूप में एक नए सूर्य का उदय हो चुका था। शासन प्रशासन में आमूलचूल परिवर्तन होने लगा। नई सोच, नई कार्यपद्धति और अभूतपूर्व निर्णय धीरे-धीरे लिए जाने लगे। आजादी के बाद से जो रुके पड़े राष्ट्र को आगे ले जाने वाले कार्य थे, अब संपन्न होने लगे। वर्षों से रुके प्रोजेक्ट पूरे होने लगे। 1957 में शुरू हुआ गुजरात में सरदार सरोवर बांध मोदी के प्रधानमंत्री होने के बाद ही पूरा हो पाया।
प्रारंभ से ही मोदी जी ने गंभीरता से दो महापुरुषों के विचार और कार्य को आगे बढ़ाने का प्रयास किया और न सिर्फ प्रयास किया पर उसे पूरा भी किया। भारतीय जनसंघ, भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर को पूरी तरह इस देश में मिलाने के लिए अपनी आहुति दे दी थी। मोदी जी दृढ़ संकल्पित थे कि जो धारा कश्मीर को इस देश से अलग करती है, उस धारा को समाप्त करना ही डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। धारा 370 समाप्त करके मोदी सरकार ने यह दिखा दिया कि कोई कार्य असंभव नहीं है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद हमारा मूल दर्शन है। इस मूल दर्शन में अंतिम व्यक्ति के विकास के बिना आगे का विकास संभव नहीं है। इस दिशा में भी मोदी जी ने कई सारे कार्य किए। वंचितों के लिए, निर्धनों के लिए, पीड़ितों के लिए, अस्वस्थ के लिए और उस अंतिम व्यक्ति के लिए जहां तक विकास की रोशनी अब तक नहीं पहुंची थी, वहां तक पहुंचाने की कोशिश की गई और उसमें बहुत सीमा तक सफलता मिली। आज भी यह योजनाएं सुचारू रूप से चल रही हैं।
राष्ट्रीय समर स्मारक एवं संग्रहालय (National War Memorial & Museum) के निर्माण की मांग आजादी के बाद से ही की जा रही थी, पर ये टलता रहा। वीर योद्धाओं की स्मृति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘राष्ट्रीय समर स्मारक’ (national war memorial) बनवाकर देश को बहुत बड़ा उपहार दिया है और देश के लोगों को, उन वीर शहीदों को, नमन करने का अवसर प्रदान किया है, जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। 1947 से लेकर आज तक समय-समय पर हुए युद्ध में जो सैनिक शहीद हुए हैं, इस वार मेमोरियल में उनके नाम की पट्टियां लगी हैं। इस प्रकार 13,516 शहीद सैनिकों के नाम ग्रेनाइट कि पट्टिका पर लिखे हुए हैं। राष्ट्रीय समर स्मारक के परिसर में ही परम योद्धा स्थल बना हुआ है जहां 21 परमवीर चक्र विजेताओं की न केवल प्रतिमाएं लगी हुई हैं, परंतु उनके शौर्य के विषय में संक्षिप्त विवरण भी पत्थर के शिलापट पर अंकित है। अंडमान के 21 द्वीपों का नाम इनके नाम पर मोदी सरकार ने रखा है।
2002 में गोधरा कांड के बाद से लगातार मुख्यमंत्री रहते हुए भी मोदी जी को परेशान किया जाता रहा। अनेक मुकदमों का सामना उन्हें करना पड़ा। विशेष रुप से 2005 से लेकर 2014 तक केंद्र की कांग्रेस सरकार ने उन्हें अनेक प्रकार से प्रताड़ित किया। उनसे केंद्र की एजेंसियों ने लगातार आठ-आठ घंटे की पूछताछ की, पर उन्होंने डटकर सामना किया और अंततः पूरी तरह से भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें निर्दोष घोषित किया। इसके विपरीत इस बीच अनेक अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, संस्थाओं और राष्ट्रों ने उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया। 2012 और 2014 में दुनिया की मशहूर पत्रिका टाइम मैगजीन ने अपने कवर पर उनकी फोटो छापी। 2014 में ही सीएनएन-आईबीएन ने उन्हें इंडियन ऑफ द ईयर घोषित किया। 2015 में फिर टाइम मैगज़ीन ने अपने कवर पर उन्हें स्थान दिया। इस पत्रिका ने विश्व के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में मोदी जी को 2014, 2015,2017, 2020 और 2021 में सम्मानपूर्वक रखा। फोर्ब ने भी अपनी सूची में उन्हें कई बार टॉप 10 में रखा।
इनकी क्षमता और कार्यों को देख कर कई देशों ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से इन्हें विभूषित किया। ‘ऑर्डर ऑफ अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद’ नाम का नागरिक सम्मान सऊदी अरेबिया ने इन्हें 3 अप्रैल 2016 को दिया। अफगानिस्तान ने ‘स्टेट आर्डर ऑफ गाजी अमानुल्लाह खान’ पुरस्कार 4 जून 2016 को प्रदान किया। इन्हें फिलीस्तीन ने भी अपने सर्वोच्च सम्मान से नवाजा, जिसे ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ पैलेस्टाइन’ कहते हैं। यह सम्मान उन्हें 10 फरवरी 2018 को दिया गया। यूनाइटेड अरब अमीरात ने 4 अप्रैल 2019 को इन्हें ‘ऑर्डर ऑफ ज़ायेद’ से पुरस्कृत किया। रूस ने इन्हें 12 अप्रैल 2019 को अपने यहां के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ सैंट एंड्रयू’ से सम्मानित किया। मालदीव ने उन्हें 8 जून 2019 को ‘ऑर्डर ऑफ द डिस्टिंग्विश्ड रूल आफ निशान इज़्ज़उद्दीन’ से सम्मानित किया। ‘किंग हमद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां’ से उन्हें बहरीन ने 24 अगस्त 2019 को सम्मानित किया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने उन्हें ‘लीजन ऑफ मेरिट’ से 21 दिसंबर 2020 को सम्मानित किया। भूटान ने इन्हें 17 दिसंबर 2021 को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रैगन किंग’ से सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त ‘बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ ने उन्हें स्वच्छ भारत अभियान के लिए ‘ग्लोबल गोलकीपर’ पुरस्कार से सिंतबर 2019 में सम्मानित किया।
इसके साथ ही अन्य अनेक देशों ने अपने सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया है। ब्राज़ील के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ नेशनल ऑर्डर ऑफ़ द सदर्न क्रॉस’, ‘ऑर्डर ऑफ़ द रिपब्लिक ऑफ़ त्रिनिदाद एंड टोबैगो’, ‘ द ऑफिसर ऑफ ऑर्डर ऑफ़ द स्टार ऑफ़ घाना’, साइप्रस के ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ ऑर्डर ऑफ़ मकारियोस III’ , श्रीलंका का मिथुरा विभूषण पुरस्कार’, ‘ग्रैंड कमांडर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द स्टार एंड की ऑफ़ द इंडियन ओशन’, द आर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ ‘ऑर्डर ऑफ़ एक्सीलेंस’ ‘ऑनरेरी ऑर्डर ऑफ़ फ़्रीडम’ ऑफ़ बारबाडोस’ पुरस्कार, ‘डोमिनिका’ सम्मान पुरस्कार, ‘ग्रैंड कमांडर ऑफ ऑर्डर ऑफ़ द नाइजर’, ‘ऑर्डर ऑफ़ सेंट एंड्रयूज़ द एपोस्टल’ ‘ऑर्डर ऑफ़ द ड्रुक ग्यालपो’, आदि।
अक्टूबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने मोदी जी को ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ नामक पर्यावरण के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया। ‘कैम्ब्रिज एनर्जी रिसर्च एसोसिएट्स’ (CERA) द्वारा 2021 में उन्हें ‘ग्लोबल एनर्जी एंड एनवायरनमेंट लीडरशिप’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह भविष्य के वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण के लिए दिया जाता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका की संस्था ‘मॉर्निंग कंसल्ट’ ने उन्हें नवंबर 2022 में 77% रेटिंग के साथ विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता घोषित किया। विगत 3 वर्षों से लगातार मोदी जी विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बने हुए हैं। 2023, 24 और 25 में एक बार फिर 78% रेटिंग के साथ मोदी सबको पछाड़कर शीर्ष पर हैं।
किसी गरीब को क्या चाहिए। सर पर छत हो, उसमें रोशनी हो, दो रोटी पकाने के लिए ईंधन हो,शौचालय हो और हो उसकी बीमारी में इलाज की व्यवस्था। मोदी जी ने आते ही इस पर केंद्रित किया। मोदी जी ने गाँवों की स्थिति देखी थी, जहां महिलाएं शौच के लिए अंधेरा होने का इंतज़ार किया करती थीं। पहले ही सम्बोधन में लाल किले की प्राचीर से जब स्वच्छता अभियान की मोदी जी ने घोषणा की, तो कई लोगों को हास्यास्पद लगा। भला 15 अगस्त को कोई शौचालय की बात करता है। पर मोदी जी डिगे नहीं,अपने अभियान में लगे रहे और देशवासियों को जोड़ा। आज स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत सहायता के रूप में शौचालय निर्माण हेतु धन की व्यवस्था की गयी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत एल पी जी गैस कनेक्शन, सौभाग्य योजना के अंतर्गत हर घर में बिजली, आयुष्मान योजना से हर गरीब को इलाज के लिए 5 लाख रु की धनराशि प्रदान की गयी है। इतना ही नहीं, जिन लोगों ने आज तक बैंक का मुंह नहीं देखा था और बैंक जाने से डरते थे, वहाँ जनधन खाते के अंतर्गत सबके खाते खुल गए। गरीबों के लिए सहयोग राशि अब सीधे उनके खाते में जाने लगी। ये पंक्तियाँ इसे प्रमाणित करती हैं कि ‘इस अंत वाले को भी’ –
चकाचौंध से आँखें मुंद गयी थीं,
घर में सूरज निकल आया जैसे
बल्ब की रोशनी से
पहला परिचय था होरी का
बड़के टोला में ऊंचे मकान देख
गर्दन टेढ़ी हो गयी थी उसकी
बरसात तो अभिशाप थी
सालों तक चूती रही मड़ई
आज अपने ही ईंटों के मकान में
खटिया पर बैठ बाहर बरामदे में
चाय की चुस्की में
खुश था बारिश देख
ठकुराइन के घर में बिना लकड़ी के
चूल्हा धक् धक् कैसे जल गया
धनिया उस दिन बूझ ही नहीं पायी
आज उसके घर भी
धक् धक् जलते चूल्हे पर
कोटा से आये गेहूं की
मोटी रोटियों का स्वाद
कैसा मीठा और अनोखा है
और अब धुयें से आंसू भी नहीं बहते
अगली फसल के बीज की चिंता कहाँ
सम्मान निधि ने चेहरे पर खुशी जो दे दी
उस दिन हम सभी जिला प्रभारियों को यह दायित्व दिया गया था कि वाराणसी एयरपोर्ट पर हम सभी मोदी जी का स्वागत करेंगे। पूरे काशी क्षेत्र के 15 जिला प्रभारी वहां उपस्थित थे। मैं क्योंकि काशी क्षेत्र का क्षेत्रीय अध्यक्ष रहा था, इसलिए सभी लोग व्यक्तिगत रूप से परिचित थे और हमारी कार्यशैली से भी परिचित थे। मोदी जी के आने के पहले हम सब आपस में चर्चा कर रहे थे कि मोदी जी के आने के बाद एक ग्रुप फोटो उनके साथ हमारी होनी चाहिए। फिर यह भी विषय आया कि मोदी जी से कौन यह बात कहेगा, कौन उनसे आग्रह करेगा। लगभग सभी की राय थी कि डॉक्टर एम पी सिंह यहां के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे हैं, वे ही उन से निवेदन करें। मैंने स्वीकार कर लिया और मैंने आश्वस्त किया कि जरूर उनके साथ हम लोगों की ग्रुप फोटो होगी। वाराणसी एयरपोर्ट अब अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट हो चुका है लेकिन पुराना एयरपोर्ट अभी भी अलग सुरक्षित है। मोदी जी जब भी वाराणसी आते हैं तो पुराने एयरपोर्ट पर ही उनके उतरने की व्यवस्था होती है, इसलिए कि उनकी सुरक्षा के कारण नए एयरपोर्ट में आम नागरिकों को कोई परेशानी न हो। मोदी जी का वाराणसी में कार्यक्रम काशी हिंदू विश्वविद्यालय में था और एयरपोर्ट पर ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय ले जाने के लिए उनके लिए सेना का हेलीकॉप्टर तैयार था। हम सभी एयरपोर्ट के प्रांगण में बाहर पंक्तिबद्ध होकर उनके जहाज के उतरने की प्रतीक्षा करने लगे। सेना के जहाज से मोदी जी उतरकर हम सबके पास आए और एक एक व्यक्ति से हाथ मिलाते हुए हेलीकॉप्टर की ओर चल दिए, जो दूर खड़ा था। अचानक उनके चल देने से उनके साथ फोटो खींचे जाने की उम्मीद धूमिल होने लगी। पर मैंने साहस किया और मैं उनके पीछे दौड़ा। मुझे दौड़ता देखकर एसपीजी वाले भी दौड़े। फिर मोदी जी मुड़े तो मैंने उनसे कहा कि हम सभी जिलों के प्रभारी हैं और आपके साथ एक ग्रुप फोटो चाहते हैं। मोदी जी मेरे साथ लौट आए, जहां अन्य सारे लोग खड़े थे और रास्ते में मुझसे कहते गए कि मैं फोटो खिंचवा लूंगा, पर आप लोग धक्का मत दीजिएगा। हमने उन्हें आश्वस्त किया। उन्होंने बहुत इत्मीनान से हम सबके साथ फोटो खिंचाई और फिर मुझ से हाथ जोड़कर बोले कि अब जाने की अनुमति है? ऐसे सहज सरल अपने मोदी जी हैं। सभी लोग उस दिन बहुत ही प्रसन्नचित्त होकर लौटे और सब ने यह माना कि हम उनके पीछे दौड़ कर उन्हें न बुलाए होते तो उनके साथ यह फोटो न खिंच पाती।
खेत खाली नहीं होंगे अब
होरी ने जमींदार का घर छोड़ दिया
अब खाद के लिए केसीसी है न
बिटिया के हाथ भी पीले करने हैं
उसकी भी फ़िक्र नहीं
सरकारी बाबू के रजिस्टर में लिख गया
बर्तन, बक्सा, टीवी, साइकिल
सब रजिस्टर बाबू ही देंगे
धनिया को अँधेरे तक बाट नहीं देखनी
उत्तरपट्टी की बबुआइन जैसे
वो भी शौचालय अब जाने लगी है
पेट की पीड़ा भी छूमंतर होने लगी है
गोबर बीमार है,ऑपरेशन भी होना है
डॉक्टर ने कहा था उस दिन,लाखों लगेंगे
गोबर अब स्वस्थ होकर ही आएगा
आयुष्मान कारड जो है होरी के नाम
मैं यह मानता हूं की आजादी के बाद जिन तीन व्यक्तियों के देश हित के लिए किए गए आवाहन ने सर्वाधिक प्रभावित किया उनमें लाल बहादुर शास्त्री, जयप्रकाश नारायण और नरेंद्र मोदी जी हैं। शास्त्री जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए देश से आवाहन किया कि हमारे देश में अन्न का उत्पादन पर्याप्त नहीं हो पा रहा है और हमें पीएल 480 के अंतर्गत अमेरिका से गेहूं मंगाना पड़ रहा है, इसलिए हम नहीं चाहते कि अपने इस उपकार का लाभ अमेरिका हमसे देशहित के विरुद्ध लेना चाहे। शास्त्री जी की यह बात देश की जनता ने मानी और सोमवार की सायंकाल एक समय सब ने अन्न खाना छोड़ दिया। मुझे याद है कि उन दिनों वाराणसी के यूपी कॉलेज छात्रावास में हम सब रहते थे और सोमवार की सायंकाल हमारा मेस बंद हो जाता था। हम बाहर भी अन्न नहीं खाते थे। फल, दूध, अंडा आदि से हम पेट भरते थे। दूसरे थे जे पी, जिन्होंने राजनीतिक भ्रष्टाचार के विरुद्ध सांसदों और विधायकों से आवाहन किया कि आप अपनी सदस्यता त्याग दीजिए और देश हित में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए आप हमारे साथ आंदोलन में जुड़िए। अनेकों विधायकों और सांसदों ने अपनी सदस्यता छोड़ी और जेपी आंदोलन के साथ जुड़ गए। तीसरे व्यक्ति नरेंद्र मोदी जी हैं, जिन्होंने आर्थिक रूप से सक्षम जनता से आवाहन किया कि गैस पर मिलने वाली सब्सिडी अगर आप छोड़ दें तो गरीब लोगों को हम गैस कनेक्शन देने में सक्षम होंगे। जनता ने उनकी बात मानी और इस तरह आज 3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्वेच्छा से गैस सब्सिडी छोड़ दी। मैंने मोदी जी के आवाहन के तत्काल बाद ही गैस सब्सिडी छोड़ दी थी और मेरे पास स्वयं प्रधानमंत्री जी का संदेश आया, “गैस सब्सिडी छोड़ने के लिए आपको बहुत धन्यवाद। आपकी सब्सिडी के पैसे का उपयोग लकड़ी का चूल्हा जलाकर खाना बनाने वाली और अब तक धुवें में अपनी आँखें ख़राब करने वाली दक्षिण भारत की एक गरीब महिला कोल्ली रावनम्मा को हमने निशुल्क गैस कनेक्शन देकर किया है”। प्रधानमंत्री का ऐसा सन्देश पाकर अपार खुशी के साथ मुझे महसूस हुआ कि मैंने कितना बड़ा काम किया है।
ईश्वर से प्रार्थना है कि नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी स्वस्थ रहें, शतायु हों और जीवन पर्यंत प्रधान सेवक बने रहें।
सम्प्रति- लेखक डा. एम.पी.सिंह उत्तरप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता है और पार्टी के काशी प्रान्त के अध्यक्ष भी रहे है।अंतर्लीनता के पांच दशक,उस पार भी भारत जैसी कई अहम पुस्तकों के लेखक डा.सिंह राणा प्रताप डिग्री कालेज में एसोसियेट प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत है।भाजपा के संस्थापक सदस्यों में रहे डा.सिंह पार्टी के साथ ही सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहते है।