
रायपुर, 09 अक्टूबर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जल संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि “जल है तो कल है, और जल से ही कल संवरेगा।”
श्री साय ने राजधानी के ओमाया गार्डन में आयोजित ‘सुजलाम भारत’ कार्यशाला में कहा कि जल संरक्षण कोई एक दिन का कार्य नहीं, बल्कि यह जनभागीदारी से चलने वाला सतत अभियान है।कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री ने केलो नदी के पवित्र जल को पृथ्वी प्रतीक कलश में अर्पित कर की, जिससे जल संचयन और संरक्षण का संदेश जनमानस तक पहुँचा।
जल संकट से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास ज़रूरी
मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विज़न का उल्लेख करते हुए कहा कि जल संकट को लेकर उन्होंने कई बार चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते हम सबने मिलकर प्रयास नहीं किए, तो आने वाली पीढ़ियों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के कई हिस्सों में आम लोग अपने स्तर पर जल संरक्षण के नवाचार कर रहे हैं। उन्होंने राजनांदगांव की एक महिला सरपंच का उदाहरण दिया, जिन्होंने खुद की पहल से सूखे हैंडपंपों को पुनर्जीवित किया। इस प्रयास को केंद्र सरकार ने भी सराहा और आर्थिक सहयोग प्रदान किया।
जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाने की अपील
श्री साय ने कहा कि इस तरह के प्रयासों को प्रोत्साहित कर हम जल संरक्षण को एक जन आंदोलन में बदल सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्यशाला से प्राप्त सुझाव राज्य की आगामी जल नीति और योजनाओं में शामिल किए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ की नदियाँ – जीवन की धारा
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ की नदियों महानदी, इंद्रावती, शिवनाथ, केलो आदि का उल्लेख करते हुए कहा कि ये नदियाँ प्रदेश की जीवनरेखा हैं। इनसे न सिर्फ कृषि और उद्योग चलते हैं, बल्कि हमारी संस्कृति और सभ्यता भी इनसे जुड़ी हुई है। “पृथ्वी रूपी कलश में केलो नदी का जल अर्पण इस बात का प्रतीक है कि हमें जल की हर बूंद का सम्मान करना चाहिए,” उन्होंने कहा।
सरकार की प्राथमिकता में जल संरक्षण
जल संसाधन विभाग के सचिव राजेश सुकुमार टोप्पो ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में जलशक्ति मंत्रालय द्वारा देशभर में जल संचयन पर केंद्रित संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में अब तक साढ़े तीन लाख जल संरचनाओं का निर्माण किया जा चुका है, जिससे भूजल स्तर में सकारात्मक सुधार दर्ज किया गया है।
विशेष अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर पद्मश्री श्रीमती फूलबासन बाई यादव, नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. बसवराजु एस., लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव मोहम्मद कैसर अब्दुल हक सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यशाला में 300 से अधिक जल संरक्षण कार्यकर्ताओं ने पंजीकरण कर सहभागिता निभाई।