
नई दिल्ली 27 नवम्बर। केंद्र सरकार ने देश में खनन परियोजनाओं के संचालन में आ रही भूमि-संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए समयबद्ध तरीके से निपटाने के निर्देश जारी किए हैं।
खनन मंत्रालय ने खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 20A के तहत सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि नीलामी में सफल बोलीकर्ताओं को खदान क्षेत्रों में सतही अधिकार और भूमि उपलब्धता समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित कराई जाए। मंत्रालय के इस कदम का उद्देश्य निजी भूमि सौदों में होने वाली देरी, बिचौलियों की दखल और भूमि मूल्यों की अनियंत्रित बढ़ोतरी पर रोक लगाना है, ताकि खदानों का संचालन जल्द से जल्द शुरू हो सके।
मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार अब नीलामी में सफल कंपनियाँ खनिज-युक्त निजी भूमि के सतही अधिकारों के लिए सीधे जिला कलेक्टर के पास आवेदन कर सकेंगी। पहले कंपनियों को भूमि मालिकों से सीधे बातचीत करके भूमि खरीदनी पड़ती थी, जिससे सौदेबाजी लंबी चलती थी और कई बार बिचौलियों के कारण जमीन की कीमतें कृत्रिम रूप से बढ़ती थीं। नई व्यवस्था में जिला प्रशासन सतही अधिकार उपलब्ध कराने की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से संचालित करेगा और वास्तविक भूमि मालिकों को समय पर मुआवजा दिलाएगा। इससे न सिर्फ परियोजनाओं में लगने वाले समय की बचत होगी बल्कि भूमि मालिकों का भी शोषण नहीं होगा।
आदेश में राज्यों के लिए स्पष्ट समय-सीमाएँ तय की गई हैं। नियम 52 (MCR-2016) के तहत सतही मुआवजा तय करने वाले अधिकारी की नियुक्ति 30 दिनों के भीतर अनिवार्य की गई है। यदि राज्य ऐसा नहीं करते हैं तो संबंधित जिला कलेक्टर, जिला दंडाधिकारी या उपायुक्त को स्वतः सक्षम अधिकारी माना जाएगा। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि वार्षिक सतही मुआवजा हर वर्ष 30 जून तक अनिवार्य रूप से दिया जाए, जबकि आंशिक अवधि के लिए मुआवजा प्रो-राटा आधार पर खनन शुरू करने से पहले चुकाना होगा। नियुक्त अधिकारी को आवेदन मिलने के 90 दिनों के भीतर मुआवजा तय करना होगा। साथ ही राज्यों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि धारा 24A के तहत खदान पट्टा धारक को खनिज क्षेत्र में निर्बाध प्रवेश मिल सके।
केंद्र सरकार ने कहा है कि कई खनिज ब्लॉक नीलाम होने के बावजूद भूमि-संबंधी देरी के कारण अभी तक संचालन में नहीं आ पाए हैं। नई व्यवस्था से खदानों का विकास तेजी से होगा, खनिज उत्पादन बढ़ेगा, स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे तथा राज्यों की आय में प्रीमियम, रॉयल्टी, DMF और अन्य उपकरों के माध्यम से वृद्धि होगी। मंत्रालय ने राज्यों से अपील की है कि वे इस आदेश का तत्काल पालन कर खनन क्षेत्र को सुगम और पारदर्शी बनाने में सहयोग करें।
उद्योग जगत ने इस फैसले का स्वागत किया है। राष्ट्रीय नियोक्ता महासंघ (NEF) ने इसे “गेम-चेंजिंग कदम” बताया है। संगठन का कहना है कि इससे न केवल परियोजनाएँ समय पर शुरू हो सकेंगी बल्कि भूमि मालिकों को बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी और उन्हें उचित मुआवजा भी प्राप्त होगा। उद्योग जगत का मानना है कि यह सुधार खनन क्षेत्र के विकास, निवेश आकर्षण और राष्ट्रीय संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
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