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चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के सात प्रतिशत रहने का अनुमान- आर्थिक सर्वे

नई दिल्ली 04 जुलाई।संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में वर्ष 2019-20 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि  दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था 2018-19 में छह दशमलव आठ प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।

वित्त और कॉरपोरेट कार्यमंत्री निर्मला सीतारामन ने आज संसद में वर्ष 2018-19 की आर्थिक समीक्षा प्रस्तुत की। आम बजट कल प्रस्तुत किया जायेगा।आर्थिक समीक्षा में 2025 तक भारत को पचास खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के  विजन को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। इस विजन को साकार करने के लिए भारत को तेजी से प्रगति करनी होगी और सकल घरेलू उत्पाद की वास्तविक वृद्धि दर आठ प्रतिशत बनाये रखनी होगी।

आर्थिक समीक्षा का मुख्य विषय 2025 तक भारत को पचास खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए आर्थिक वृद्धि की दर को निरन्तर ऊंची बनाये रखना है। इसमें निजी निवेश, रोजगार, निर्यात और मांग पर आधारित विशेष रणनीति तैयार करने की सिफारिश की गई है।

समीक्षा में यह भी बताया गया है कि पिछले पांच वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है। सरकार ने सुनिश्चित किया है कि आर्थिक वृद्धि तथा बृहत आर्थिक स्थिरता के लाभ समाज के निचले तबके तक पहुंचे। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि चालू खाता घाटा काबू करने लायक स्तर पर बना रहा तथा विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। समीक्षा में कहा गया है कि 2018 में वृद्धि दर के मामले मे चीन को पछाड़ कर भारत ने विश्व की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए लंबी छलांग लगाई।

2018-19 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का  तीन दशमलव चार प्रतिशत रहने का अनुमान है। कृषि, वानिकी और मत्स्यपालन क्षेत्र की वृद्धि दर दो दशमलव नौ प्रतिशत रहने की संभावना है। देश में अनाज उत्पादन 28 करोड़ 34 लाख टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2018-19 में आयात 15 दशमलव चार प्रतिशत की दर से बढ़ेगा जबकि निर्यात की वृद्धि दर 12 दशमलव पांच प्रतिशत रहेगी। राजकोषीय वर्ष 2018-19 में विदेशी मुद्रा भंडार 41 खरब 29 अरब डॉलर रहने का अनुमान है।

आर्थिक समीक्षा में सामाजिक हित के आंकड़ों की असीम संभावनाओं  को रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है कि आंकड़े लोगों के, लोगों द्वारा और लोगों के लिए होने चाहिएं। जनसांख्यिकीय  रूझानों से संकेत मिलता है कि बुजुर्गों की आबादी के लिए तैयारी करने की जरूरत है जिसके लिए स्वास्थ्य देखभाल पर ज्यादा निवेश करना होगा। सेवानिवृत्ति की उम्र चरणबद्ध ढंग से बढ़ाने की बात भी कही गई है।