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मोदी ने पुनरूद्धार किये गये काशी विश्वनाथ धाम का किया लोकार्पण

वाराणसी 13 दिसम्बर।प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज यहां पुनरूद्धार किये गये काशी विश्‍वनाथ धाम का लोकार्पण किया।

श्री मोदी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि काशी विश्‍वनाथ आने से हमें अलौकिक ऊर्जा मिलती है।हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है  सारे बंधनों से मुक्‍त हो जाता है। भगवान विश्‍वेश्‍वर का आर्शीवाद एक अलौकिक ऊर्जा यहां आते ही हमारी अंतरआत्‍मा को जागृत कर देती है।  आज तो इस क्षीर चैतन्‍य काशी की चेतना में एक अलग ही स्‍पंदन है। आज आदि काशी की अलौकिकता में एक अलग ही आभा है। आज शाश्‍वत बनारस के संकल्‍पों में एक अलग ही सामर्थ्‍य दिख रहा है। हमने शास्‍त्रों में सुना है जब भी कोई पुण्‍य अवसर होता है तो सारे तीर्थ, सारी देवीय शक्तियां बनारस में बाबा के पास उपस्थित हो जाती हैं। कुछ वैसा ही अनुभव आज मुझे बाबा के दरबार में आकर हो रहा है।

उन्होने कहा कि बाबा विश्‍वनाथ सबके हैं, मां गंगा सबकी हैं, उनका आशीर्वाद सबके लिए है। लेकिन समय और परिस्थितियों के चलते बाबा और मां गंगा की सेवा की सुलभता मुश्किल हो चली थी। यहां हर कोई आना चाहता था, लेकिन रास्‍तों और जगह की कमी हो गई, बुजुर्गों के लिए, दिव्‍यांगों के लिए यहां आने में बहुत कठिनाई होती थी। लेकिन अब विश्‍वनाथ धाम परियोजना के पूरा होने से यहां हर किसी के लिए पहुंचना सुगम हो गया है। हमारे दिव्‍यांग भाई बहन, बुजुर्ग माता-पिता सीधे बोट से जेती तक आयेंगे। जेती से घाट तक आने के लिए भी एस्‍केलेटर लगाये गए हैं। वहां से सीधे मंदिर तक आ सकेंगे।

इससे पहले प्रधानमंत्री काल भैरव मंदिर पहुंचे, जिन्‍हें काशी का रक्षक माना जाता है। उन्‍होंने मंदिर में पूजा-अर्चना भी की। श्री काशी विश्‍वनाथ धाम के पहले चरण का निर्माण कार्य तीन अरब 39 करोड रुपये की लागत से पूरा किया गया है। काशी विश्‍वनाथ धाम प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है। प्रधानमंत्री ने मार्च 2019 में काशी विश्‍वनाथ धाम परियोजना की आधारशिला रखी थी। इस परियोजना से काशी विश्‍वनाथ मंदिर को सीधे गंगा घाट से जोड़ा गया है।

उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ नेउद्धाटन समारोह के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और प्रेरणा से यह पावन दिवस आया है। हम सब जानते हैं काशी बाबा विश्‍वनाथ का पावन धाम है। लेकिन एक हजार वर्षों से जिन विपरीत परिस्थितियों का सामना काशी ने किया, उन विपरीत परिस्थितियों का साक्षी न केवल काशीवासी बल्कि हर भारतवासी रहा है।इंदौर की रानी अहिल्‍या बाई होल्‍कर जी ने यहां पर बाबा विश्‍वनाथ की पुनर्स्‍थापना में उस समय बहुत ही योगदान दिया था। महाराजा रणजीत सिंह जी ने मंदिर को स्‍वर्णमंडित करने में अपना योगदान दिया। ग्‍वालियर की महारानी ने भी उस कालखंड में अपना योगदान दिया। लेकिन भक्‍त स्‍परूप इस रूप में प्रकल्पित होगा या साकार होता हुआ‍ दिखाई देगा आज पूज्‍य संतजन अपनी आंखो से इन सब चीजों को देख रहे हैं।