रायपुर 07 दिसम्बर।छत्तीसगढ़ के महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण मंत्री रमशीला साहू ने कहा कि बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए कारगर प्रयास हो रहे है जिसके उत्साहजनक परिणाम मिल रहे है।
श्रीमती साहू ने आज शाम यहां नवीन विश्राम भवन में आयोजित पत्रकारवार्ता में बताया कि कुपोषण मुक्ति के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों के स्तर पर चल रही गतिविधियों के फलस्वरूप प्रदेश में कुपोषण की दर काफी कम हो गई है। उन्होंने कहा कि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई हम सबके के लिए एक बड़ी चुनौती है।उन्होने बताया कि राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2005-06 में राज्य में कुपोषण की दर 47.1 प्रतिशत थी, जो वह 2015-16 में घटकर 37.7 प्रतिशत और पिछले वर्ष 2016 में 30 प्रतिशत के आसपास रह गई।
उन्होने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में ही मुख्यमंत्री अमृत योजना के तहत तीन वर्ष से छह वर्ष तक आयु समूह के लगभग आठ लाख बच्चों को प्रत्येक सोमवार 100 मिलीलीटर सुगंधित मीठा दूध दिया जा रहा है। कुपोषण की दर को और कम करने के लिए हाल ही में मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन शुरू किया गया है। श्रीमती साहू ने बताया कि वर्ष 2003-04 में राज्य में 21 हजार 125 आंगनबाड़ी केन्द्र थे, जिनकी संख्या आज की स्थिति में 50 हजार से अधिक हो गई है।
श्रीमती साहू ने यह भी बताया कि पीड़ित और संकटग्रस्त महिलाओं को एक ही छत के नीचे जरूरी सुविधाएं देने के लिए राज्य के सभी 27 जिला मुख्यालयों में सखी वनस्टाप सेंटर खोले गए हैं।पहला सखी वन स्टाप सेंटर राजधानी रायपुर में 16 जुलाई 2015 को शुरू किया गया था। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह विशेष पहल करते हुए 10 मार्च 2017 को अन्य 26 जिलों में भी इसका विस्तार किया। इन सखी वन स्टाप सेंटरों में अब तक तीन हजार 569 प्रकरण दर्ज हुए और इनमें से दो हजार 405 प्रकरणों का निराकरण कर दिया गया। शेष प्रकरणों में पीड़ित महिलाओं को आश्रय दिया गया है।
उन्होने यह भी कहा कि राज्य में महिलाओं के प्रति अपराधों में काफी कमी आई है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन 181 वर्ष 2016 से शुरू की गई है। उनके विरूद्ध होने वाली हिंसा अथवा उत्पीड़न की घटनाओं में इस हेल्प लाइन के जरिए उन्हें त्वरित सहायता देने की व्यवस्था की गई है। इस हेल्प लाइन में अब तक 465 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है। श्रीमती साहू ने यह भी बताया कि प्रदेश के दूर-दराज के स्कूलों में किशोरी बालिकाओं को स्वच्छ और कम लागत की सेनेटरी नेपकिन आसानी से मिल सके, इसके लिए 24 जनवरी 2017 को बालिका दिवस पर शुचिता योजना शुरू की गई। इस योजना को भी वर्ष 2017 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।