कोर्ट ने दोनों को 30 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष पेश होने और डीडीए को चार हफ्ते में महिला के पक्ष में रोहिणी के सेक्टर 8 में प्लॉट की रजिस्ट्री करने का निर्देश दिया।
आदेश का पालन न करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए के उपाध्यक्ष व उपनिदेशक (भूमि निपटान) को कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया। कोर्ट ने दोनों को 30 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष पेश होने और डीडीए को चार हफ्ते में महिला के पक्ष में रोहिणी के सेक्टर 8 में प्लॉट की रजिस्ट्री करने का निर्देश दिया।
जस्टिस धर्मेश शर्मा की पीठ ने यह भी आदेश दिया कि रजिस्ट्री के लिए लगने वाले स्टांप पेपर का खर्च भी डीडीए को वहन करना होगा। डीडीए ने याचिकाकर्ता महिला के मृत पति के नाम से प्लाॅट आवंटित किया था। महिला ने प्लाॅट आवंटन के लिए पूरे पैसे भी दे दिए थे, लेकिन डीडीए ने बाद में आवंटन रद्द कर दिया। तब महिला ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
डीडीए ने महिला की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि प्लाॅट का आवंटन महिला के पति के नाम से किया गया था। इसलिए यह महिला के नाम से आवंटित नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने दलील खारिज करते हुए प्लाॅट का आवंटन महिला के नाम पर करने का आदेश दिया था।
इसके बावजूद डीडीए महिला के नाम से प्लाॅट की रजिस्ट्री नहीं कर रही थी। इसके बाद अब हाईकोर्ट ने डीडीए के उपाध्यक्ष प्रशांत प्रसाद और उपनिदेशक (भूमि निपटान) विकास सदन को कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया है।
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