नई दिल्ली 30 सितम्बर।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत शांति के प्रति हमेशा से वचनबद्ध रहा है, लेकिन आत्म सम्मान और संप्रभुता से समझौते की कीमत पर ऐसा हरगिज नहीं किया जाएगा।
श्री मोदी ने आज आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में कहा कि बीसवीं शताब्दी में दो विश्व युद्धों में एक लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने शांति के लिए एक ऐसे युद्ध में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, जिससे उनका कोई वास्ता नहीं था। उन्होंने कहा कि भारत की नजर कभी भी किसी की धरती पर नहीं रही।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भी भारत संयुक्त राष्ट्र की शांति सेनाओं में सैनिक भेजने के मामले में सबसे अधिक योगदान देने वाले देशों में से एक है। हमारे बहादुर सैनिकों ने नीला हेलमेट पहनकर पूरे विश्व में शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है। श्री मोदी ने कहा कि कल भारत के सवा सौ करोड़ देशवासियों ने 2016 में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक की याद में पराक्रम पर्व मनाया।
उन्होने 08 अक्तूबर को मनाए जाने वाले वायु सेना दिवस का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय वायु सेना 21वीं शताब्दी की सबसे शक्तिशाली और साहसिक वायु सेनाओं में शामिल है। प्रधानमंत्री ने वायु सेना में स्त्री-पुरुष समानता सुनिश्चित किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अपने सभी विभाग महिलाओं के लिए खोल कर वायु सेना ने एक मिसाल कायम की है।
श्री मोदी ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में सफलता की कहानी बन चुका है और सभी इस आंदोलन की चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन की मेजबानी भारत करेगा, जो विश्व का सबसे बड़ा स्वच्छता सम्मेलन है।प्रधानमंत्री ने विशेष अवसरों पर लोगों से खादी और हथकरघा उत्पादों की खरीद के बारे में भी सोचने को कहा, जिससे अनेक बुनकरों को लाभ होगा।
श्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का स्मरण करते हुए कहा कि उनका नाम आते ही हमारे मन में एक असीम श्रद्धा का भाव उमड़ आता है और उनका सौम्य व्यक्तित्व हर देशवासी को गर्व से भर देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मानवाधिकारों को लेकर व्यापक जागरूकता पैदा की है और इसके दुरूपयोग को रोकने में सराहनीय भूमिका निभाई है।
श्री मोदी ने नौ सेना के अभिलाष टोमी की सराहना की जिन्होंने बीच-समुद्र में बहादुरी का परिचय दिया। वे बिना खाए-पिए अनेक दिनों तक समुद्र की लहरों से लड़ते-जूझते रहे। उन्होंने कहा कि टोमी साहस, संकल्प, शक्ति और पराक्रम का एक विरला उदाहरण हैं।