मध्य प्रदेश में इन दिनों मानसूनी बारिश का दौर जारी है। प्रदेश के खरगोन जिले में शुक्रवार देर शाम तक 557.12 मिमी वर्षा दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल इसी दिन तक 333.88 मिमी वर्षा ही हुई थी। इस साल अधिक बारिश होने की वजह से फसलों की पैदावार बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। जिले भर में कृषि विभाग का अमला लगातार किसानों के खेतों का निरीक्षण कर रहा है। फिलहाल, खेतों में कपास, मक्का और सोयाबीन की फसलें खड़ी हैं, जिन पर बारिश के बाद इल्लियों या अन्य कीड़ों के हमले की संभावना है। इसको ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग ने किसानों के लिए सलाह जारी की है।
जिले के उप संचालक कृषि अधिकारी मेहताब सिंह सोलंकी ने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि यदि कपास के पौधे मुरझाते हुए घेरे में दिखाई देते हैं, तो उन्हें कार्बेन्डाजिम 01 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 03 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से पौधों की जड़ों में ट्रेंचिंग (टोहा) करनी चाहिए। कुछ स्थानों पर कपास फसल के पौधों के पत्तों में सिकुड़न पाई गई है, जिसमें रस चूसक कीट जैसे थ्रिप्स और हरे मच्छर का प्रकोप देखा गया है। इनके नियंत्रण के लिए फ्लोनिकोमाइड 50 डब्ल्यूपी 06 ग्राम प्रति पंप या फिप्रोनिल 20 एमएल प्रति पंप का छिड़काव करने की सलाह दी गई है। इसके अतिरिक्त, यदि प्रकोप अधिक हो, तो फिप्रोनिल प्लस इमिडाक्लोरोप्रिड के मिश्रण का भी छिड़काव किया जा सकता है।
गुलाबी इल्ली से कपास का बचाव
कृषि विभाग के अनुसार, कपास में गुलाबी इल्ली के प्रबंधन के लिए फुल अवस्था में प्रति एकड़ खेत में 04 फेरोमेन ट्रैप लगाए जाने चाहिए। इन ट्रैप में प्रतिदिन एकत्रित होने वाले वयस्क पंखियों का रिकॉर्ड भी रखना चाहिए। जब खेत में प्रति ट्रैप 8 या अधिक पंखी आने लगें, तो खेत में बगैर किसी भेदभाव के 10 हरे घेटों का चयन करें और इनमें इल्लियों की उपस्थिति देखें। यदि औसतन 1 या अधिक घेटों में कीट का प्रकोप हो, तो कीटनाशकों का उपयोग प्रारंभ करें। शुरुआत में प्रोफेनोफास या थायडीओकार्ब जैसे कम विषैले कीटनाशकों का उपयोग करें। यदि कीट का अधिक प्रकोप हो, तो लेमडासायहेलोथ्रिन, एमिमोमेकटीन बेंजोएट, या इन्डोक्साकार्ब जैसे अधिक विषैले कीटनाशकों का उपयोग करें।
मक्का की फसल को कीड़ों से बचाने की सलाह
सहायक संचालक कृषि प्रकाश ठाकुर ने बताया कि यदि मक्का फसल में फॉल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप दिखाई देता है, तो उसके बचाव के लिए फ्लूबेंन्डामाइट 20 डब्ल्यू डीजी 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर या स्पाईनोसेड 15 ईसी 200 से 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 200 से 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। कीट प्रकोप की स्थिति के अनुसार, 15 से 20 दिन के अंतराल पर 2 से 3 छिड़काव करें। इसके अलावा, कार्बोफ्यूरॉन 3 जी 02 से 03 किग्रा प्रति हेक्टेयर का भी उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने दानेदार कीटनाशकों का उपयोग पौधे की पोंगली में (5 से 10 दाने प्रति पोंगली) करने की भी सलाह दी है।