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जिला न्यायपालिका की जिम्मेदारी एवं भूमिका महत्वपूर्ण- न्यायमूर्ति सूर्यकान्त

बिलासपुर 08 सितम्बर।उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्यकान्त ने कहा कि पक्षकारों के सम्पर्क में सर्वप्रथम जिला न्यायपालिका आती है, ऐसी दशा में जिला न्यायपालिका की जिम्मेदारी एवं भूमिका महत्वपूर्ण है और यदि न्यायाधीश निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध है तो कोई प्रक्रियात्मक व तकनीकी अड़चन न्यायाधीश को एक तार्किक निर्णय लेने में बाधा नहीं बन सकती है।

  छत्तीसगढ उच्च न्यायालय द्वारा आज यहां जिला न्यायपालिका के सशक्तीकरण व सिविल व आपराधिक विधि पर राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकान्त ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायदान में आने वाली तकनीकी व प्रक्रियात्मक बाधाओं के प्रति व्यक्तिगत दृष्टिकोण अपनाने के बजाय ऐसी बाधाओं के प्रभावी निवारण के लिए संस्थागत दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। उन्होने तुच्छ व तुक्के वाली मुकदमेबाजी की बढ़ती प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने पर जोर दिया कि न्यायपालिका में झूठ व बेबुनियाद मामलों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए एक मजबूत व साहसी जिला न्यायपालिका तुच्छ व तुक्के वाली मुकदमेबाजी को निपटने में सक्षम हो सकती है।

   उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने अपने मुख्य भाषण में जिला न्यायपालिका के भूमिका व महत्व पर जोर देते हुए व्यक्त किया कि भारत में जिला न्यायपालिका केवल वैधानिक न्यायालय ही नहीं है बल्कि इसकी जड़ें भारत के संविधान में अवस्थित है। उन्होनें जिला न्यायपालिका के महत्व पर बल देते हुए कहा कि जिला न्यायपालिका भौगोलिक व भाषायी पहुंच में पक्षकारों के निकट होती है। जिला न्यायपालिका स्थानीय स्तर पर लोगों की प्रथा रीति-रिवाज बोली को ज्यादा अच्छे तरीके से समझती है। उन्होने जिला न्यायपालिका की सिविल व व्यक्तिगत स्वतंत्रता की भूमिका को रेखांकित करते हुए जिला न्यायपालिका को सिविल व आपराधिक दोनों क्षेत्रों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षक बताया।

   उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने उदबोधन में जिला न्यायपालिका के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिला न्यायपालिका का दृष्टिकोण व कानूनी प्रावधानों का निर्वचन बहुत महत्वपूर्ण है और यह उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय द्वारा किए जाने वाले निर्वचन के लिए आधार प्रदान करता है। माननीय न्यायाधिपति ने व्यक्त किया कि नए प्रावधानों के लागू होने से कानूनों के प्रति जिला न्यायपालिका का दृष्टिकोण व निर्वचन अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है इसलिए जिला न्यायपालिका को कानूनों को लागू करने में व निर्वचन करने में अत्यंत सतर्क रहना होगा।

   छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने कहा कि सामूहिक प्रयासों से हम एक सशक्त व प्रभावी जिला न्यायपालिका को सुनिश्चित करने में सक्षम होंगे और आज की यह कान्फ्रेंस जिला न्यायपालिका को सशक्त करने के हमारे प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

 इस कान्फ्रेंस के दौरान छत्तीसगढ जिला न्यायपालिका पर एक पुस्तक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स आफ छत्तीसगढ़ का अनावरण माननीय न्यायमूर्तिगण द्वारा किया गया। इस पुस्तक में राज्य के समस्त जिला न्यायालयों के बारे में जानकारी के साथ साथ जिले के इतिहास, संस्कृति व विविधता के बारे में सारगर्भित जानकारी के साथ साथ न्यायिक अधिकारियों के विद्धतापूर्ण लेख भी समाविष्ट हैं ।कान्फ्रेंस के उदघाटन सत्र के समापन पर न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।