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उपार्जित धान की मीलिंग नही होने से एक हजार करोड़ की क्षतिः महंत

रायपुर 10 अक्टूबर।छत्तीसगढ़ विधानसभा नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कर गत खरीफ सीजन में खरीदे गए धान की समय पर मीलिंग नही किए जाने से एक हजार करोड़ रूपए के नुकसान की जानकारी देते हुए जिम्मेदार लोगो के खिलाफ जांच के उपरान्त कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया है।

   डा.महंत ने राज्यपाल को लिखे पत्र में बताया हैं कि खरीफ सीजन 2023 में समर्थन मूल्य पर धान का 144 लाख 12 हजार मैट्रिक टन उपार्जन किया गया था। समर्थन मूल्य पर उपार्जित धान की मीलिंग करके चावल तैयार किया जाता है और राज्य की आवश्यकता के लिए चावल राज्य में रखकर अतिरिक्त चावल भारतीय खाद्य निगम को दिया जाता है। मीलिंग पूर्ण होने में पर्याप्त समय लगता है। इस अवधि में धान की सुरक्षा एवं रखरखाव का उत्तरदायित्व राज्य सरकार का होता है। गत 02 सितम्बर की स्थिति में यह पाया गया कि कुल 25 लाख 93 हजार 880 क्विंटल धान की मीलिंग नहीं हो सकी थी। आगे पड़ताल करने पर यह पाया गया कि, उक्त मात्रा में से 4 लाख 16 हजार 410 क्विंटल धान तो विभिन्न खरीदी केन्द्रों पर शेष बताया जा रहा है तथा 21 लाख 77 हजार 470 क्विंटल धान छ.ग. राज्य सहकारी विपणन संघ के विभिन्न संग्रहण केंद्रों पर शेष बताया जा रहा है।

   उन्होने राज्यपाल को बताया कि इस शेष धान की स्थिति का प्रारंभिक तौर पर मुआयना करवाने पर यह पाया गया कि खरीदी केन्द्रों पर जो धान रिकार्ड में शेष दिख रहा है वहां धान है ही नहीं। इसी प्रकार संग्रहण केन्द्रों पर शेष धान जो खुले आसमान के नीचे कैप कवर के अंदर भंडारित किया गया था, वह भी बहुत खराब स्थिति में है तथा उसका चावल बनाने पर भी मानव के खाने योग्य नहीं होगा।

    पत्र में कहा गया हैं कि  कुल 25 लाख 93 हजार 880 क्विंटल धान, जिसका लागत मूल्य रू. 4000.00 प्रति क्विंटल की दर से 1037 करोड़ 55 लाख रूपये होता है, खराब हो चुका है। यह एक बड़ी क्षति है, जो धान के सुरक्षा और रखरखाव में घोर उपेक्षा के कारण हुई है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने के पश्चात् इतनी बड़ी मात्रा में धान कभी भी खराब नहीं हुआ था।

   नेता प्रतिपक्ष ने राज्यपाल से आग्रह किया कि  इस पूरे प्रकरण की जांच कराने तथा उत्तरदायित्व निर्धारित करने के लिए अपने स्तर से समुचित कार्यवाही करें।