पारंपरिक कला और आजीविका को जोड़ते हुए छत्तीसगढ़ वन विभाग ने विशेष पिछड़ी जनजाति के परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहल की है। बारनवापारा में आयोजित बांस शिल्पकला एवं बांस आभूषण निर्माण प्रशिक्षण कार्यशाला में कमार और बसोड समुदाय के लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
वन मंडलाधिकारी बलौदाबाजार गणवीर धम्मशील के मार्गदर्शन में इस प्रशिक्षण को असम, गुवाहाटी से आए बांस कला विशेषज्ञ संचालित कर रहे हैं। कार्यक्रम में कुल 36 हितग्राहियों को दो चरणों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें ग्राम बल्दाकछार से 6, ठाकुरदिया से 14 और बारनवापारा से 16 प्रशिक्षणार्थी शामिल हैं।
प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य विशेष पिछड़ी जनजातियों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना और उनकी परंपरागत शिल्पकला को बाजार से जोड़ना है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद हितग्राही परिवारों द्वारा बनाए गए बांस के आभूषण और हस्तशिल्प को न केवल प्रदेश में बल्कि देशभर के विभिन्न बाजारों में बेचने की योजना है।
यह पहल न केवल जनजातीय परिवारों को आर्थिक संबल प्रदान करेगी बल्कि उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
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