
जगदलपुर, 11 सितंबर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज जगदलपुर में आयोजित “बस्तर इन्वेस्टर कनेक्ट कार्यक्रम” के मंच से यह स्पष्ट संकेत दिया कि बस्तर अब छत्तीसगढ़ की औद्योगिक प्रगति का केंद्रीय बिंदु बनने के लिए तैयार है।उन्होने कहा किबस्तर की धरती, जो कभी माओवाद के काले साए से जूझ रही थी, अब विकास और निवेश की नई कहानी लिख रही है।
श्री साय ने कहा कि राज्य की नई औद्योगिक नीति का केंद्र बिंदु बस्तर है, जो खनिज, वन और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर एक अत्यंत समृद्ध क्षेत्र है। उन्होंने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि बस्तर के बहादुर नागरिकों और सुरक्षाबलों की कड़ी मेहनत और संकल्प के कारण माओवाद का प्रभाव अब लगभग समाप्त हो चुका है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मार्च 2026 तक माओवाद की बची-खुची निशानियाँ भी पूरी तरह समाप्त हो जाएंगी, जिससे बस्तर पूर्णतः नक्सलमुक्त क्षेत्र बन जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारा लक्ष्य बस्तर को मुख्यधारा में लाना ही नहीं, बल्कि इसे विकसित छत्तीसगढ़ की धुरी बनाना है। बस्तर की समृद्धि छत्तीसगढ़ के उज्ज्वल भविष्य की आधारशिला बनेगी।”
टोक्यो, सियोल और अब बस्तर: निवेश को नई दिशा
श्री साय ने बताया कि जापान के टोक्यो और ओसाका, तथा दक्षिण कोरिया के सियोल में आयोजित सफल इन्वेस्टर कनेक्ट कार्यक्रमों के बाद अब बस्तर को चुना गया है। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक अवसर बताया और कहा कि यह इस बात का प्रतीक है कि छत्तीसगढ़ सरकार अब राज्य के हर हिस्से को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि आज का युग “बुलेट ट्रेन की रफ्तार” का है, और छत्तीसगढ़ सरकार इसी रफ्तार से “विकसित भारत – विकसित छत्तीसगढ़” के सपने को साकार करने की दिशा में काम कर रही है।
बस्तर में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत
राज्य की नई औद्योगिक नीति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “परफॉर्म, रिफॉर्म, ट्रांसफॉर्म” मंत्र को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। इस नीति में बस्तर को विशेष प्राथमिकता दी गई है।मुख्यमंत्री ने बताया कि बस्तर में निवेश करने वाले उद्यमियों को सबसे अधिक लाभ मिलेगा क्योंकि इस क्षेत्र के 88 प्रतिशत ब्लॉकों को ग्रुप-3 श्रेणी में शामिल किया गया है, जिससे अधिकतम अनुदान और सब्सिडी का प्रावधान संभव हो पाया है।
उन्होंने यह भी बताया कि एससी/एसटी वर्ग के उद्यमियों को 10% अतिरिक्त सब्सिडी, और 1,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश या 1,000 से अधिक लोगों को रोजगार देने वाले उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। साथ ही, यदि उद्यमी आत्मसमर्पित नक्सलियों को रोजगार देते हैं, तो उन्हें पाँच वर्षों तक 40% वेतन सब्सिडी मिलेगी, जिसकी अधिकतम सीमा पाँच लाख रुपये प्रति वर्ष होगी।
बस्तर में विकसित हो रही अधोसंरचना
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि बस्तर के सभी जिलों और विकासखंडों में नए औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना की जा रही है। जगदलपुर के फ्रेजरपुर और गीदम रोड, नगरनार के पास नियानार, कांकेर के लखनपुरी, दंतेवाड़ा के टेकनार, नारायणपुर, सुकमा, कोंडागांव और बीजापुर में नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में विशाखापट्टनम से एक्सप्रेसवे, रावघाट-जगदलपुर रेलवे, और किरंदुल से तेलंगाना को जोड़ने वाली रेल परियोजना पर कार्य जारी है। जगदलपुर एयरपोर्ट को उड़ान योजना के तहत अपग्रेड किया गया है और बोधघाट परियोजना पर कार्य जल्द शुरू किया जाएगा। कनेक्टिविटी को सशक्त बनाने के लिए नए मोबाइल टावर भी लगाए जा रहे हैं।
पर्यटन को उद्योग का दर्जा, मिलेगा 45% तक अनुदान
पर्यटन क्षेत्र को भी औद्योगिक नीति में विशेष स्थान दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर एक प्राकृतिक स्वर्ग है और यहाँ की सांस्कृतिक विरासत, जलप्रपात, गुफाएँ और आदिवासी जीवनशैली दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित कर सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए पर्यटन क्षेत्र में निवेश करने वाले उद्यमियों को 45 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी।
इसमें होटल, इको-टूरिज्म, वेलनेस सेंटर, एडवेंचर स्पोर्ट्स, और होम स्टे जैसे प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय उद्यमियों और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
स्किल डेवलपमेंट और स्थानीय रोजगार पर विशेष फोकस
मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योग लगाने का उद्देश्य केवल आर्थिक वृद्धि नहीं है, बल्कि स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन भी सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए बस्तर के सभी 32 ब्लॉकों में स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं, जो युवाओं को आधुनिक और कोर सेक्टर की जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षित करेंगे।
उन्होंने कहा, “बस्तर के युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, उन्हें बस सही अवसर और मार्गदर्शन की आवश्यकता है।”
6.95 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव, उत्साहित उद्योग जगत
कार्यक्रम में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन ने जानकारी दी कि नई औद्योगिक नीति के तहत अब तक कुल 6.95 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि इन प्रस्तावों के साथ ही बस्तर की छवि एक संभावनाओं से भरे औद्योगिक क्षेत्र के रूप में उभरी है।
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि बीजापुर में पहली बार राइस मिल की स्थापना, और जगरगुंडा की इमली मंडी को पुनः शुरू किया गया है, जिससे किसानों और स्थानीय व्यापारियों को लाभ मिल रहा है।
34 उद्योगों को प्रोत्साहन प्रमाणपत्र, निवेशकों का उत्साह
कार्यक्रम में 34 नए उद्योगों को प्रोत्साहन प्रमाणपत्र भी वितरित किए गए। वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव श्री रजत कुमार ने वीडियो प्रजेंटेशन के माध्यम से बस्तर की संभावनाओं और राज्य सरकार की योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इंसेंटिव कैलकुलेटर, सिंगल विंडो क्लीयरेंस, और बार-बार निरीक्षण से राहत जैसी सुविधाओं से उद्योग लगाना अब और सरल और पारदर्शी हो गया है।
एनएमडीसी द्वारा भी एक विशेष प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ के औद्योगिक और सामाजिक विकास में अपनी भूमिका का उल्लेख किया।
श्री साय ने कहा कि बस्तर ने अब रेड कारपेट बिछा दिया है। यहाँ निवेश करना केवल एक व्यापारिक निर्णय नहीं बल्कि भविष्य की सुनहरी नींव रखने का अवसर है। उन्होंने निवेशकों से आग्रह किया कि वे बस्तर की इस उड़ान में शामिल हों और विकास के नए युग का हिस्सा बनें।