Saturday , September 20 2025

एनडीए की सहयोगी पार्टियों में सियासी भविष्य तलाश रहे हैं जिले के भाजपा नेता !

(संतोष कुमार यादव)

सुल्तानपुर 20 सितम्बर। भाजपा में अपना सियासी भविष्य संकट में देख रहे कुछ नेताओं द्वारा सत्ता में बाईपास जाने के रास्ते खोजे जाने लगे हैं।2027 के लिए नेताओं ने अपनी गोटियां अभी से ही बिछानी शुरू कर दी है। एनडीए की सहयोगी पार्टियों में जिले के भाजपा नेता अपना सियासी भविष्य तलाश रहे हैं। सदर में निषाद पार्टी तो इसौली में सुभासपा नेताओं कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है। इसौली विधानसभा में भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिंह के पति ब्लाक प्रमुख शिवकुमार सिंह की अगुवाई में बुधवार को बड़ी रैली हुई। जिसमें भाजपा से जुड़े कई चेहरे पीले गमछे में नजर आए वहीं लंभुआ विधानसभा से भी कुछ वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने की भी चर्चा रही। निषाद पार्टी का जिले की सदर विधानसभा में प्रयोग सफल देख सियासत की बुलंदियों पर पहुंचने के लिए भाजपा नेताओं को ये रास्ते मुफीद नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि, सदर विधानसभा से 2017 में पूर्व ब्लाक प्रमुख सनत्य कुमार सिंह ’बबलू’ निषाद पार्टी से चुनाव लड़े। उन्हें सम्मानजनक वोट मिला तो संजय निषाद की निगाहें यहां से जीत की संभावनाएं तलाशने लगी। 2022 में भाजपा से जब निषाद पार्टी का गठबंधन हुआ तो मंत्री संजय निषाद ने सदर पर अपना दावा ठोका। भाजपा ने यह सीट निषाद पार्टी को दे दिया। और उसे यहां के अपने सीटिंग विधायक सीताराम वर्मा को बगल की लंभुआ सीट पर एडजेस्ट करना पड़ा। भाजपा से यह सीट अपने कोटे में लेकर निषाद पार्टी ने पूर्व में बसपा से चुनाव लड़ चुके राज बाबू उपाध्याय को अपना प्रत्याशी बनाया। कंडीडेट तो वे निषाद पार्टी के रहे लेकिन सिंबल भाजपा का रहा। इसका नतीजा हुआ भाजपा यहां फिर जीत गई।

गौरतलब है कि, सदर से कमल निशान पर भाजपा विधायक चुने गए राज बाबू उपाध्याय निषाद पार्टी के कोटे से हैं। यह सीट समझौते में संजय निषाद ने भाजपा से लेकर भाजपा को ही दे दिया। और राजबाबू उपाध्याय यहां कमल निशान पर विधायक चुने गए। अब वही निषाद पार्टी वाला फार्मूला इसौली में भी खोजा जा रहा है। गौरतलब है कि, इसौली विधानसभा का नए परिसीमन में भूगोल बदल गया। तीन खंड में विभक्त इसौली का अधिकांश हिस्सा सुल्तानपुर, सदर, विधानसभा में चला गया। नए समीकरण में भाजपा के लिए यहां से जीत और दूर होती गई। इसौली विधानसभा में सपा जीत की तो भाजपा हार की हैट्रिक लगा चुकी है। हालांकि दोनों दलों के बीच हार जीत का अंतर कभी ज्यादा नहीं रहा। 2022 में तो अंतर ढाई सौ ही रहा। ऐसे में भाजपा आसानी से यह सीट सुभासपा को दे देगी ऐसी संभावना कम है। सूत्रों की माने तो ओपी राजभर की इसौली पर निगाहें हैं। निशान छड़ी हो या कमल इस पर ऐतराज नहीं बस इसौली सीट ओपी राजभर भाजपा से समझौते में चाहते हैं। भाजपा नेता शिवकुमार सिंह ने उन्हें यह सीट जीतकर देने का भरोसा दिया है। इसौली सपा का गढ़ मानी जाती है। भाजपा लगातार यहां से मैदान में है, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही। इसौली विधानसभा अंतर्गत बल्दीराय क्षेत्र के निवासी भाजपा नेता शिवकुमार सिंह यहीं से ब्लाक प्रमुख हैं। उनकी पत्नी ऊषा सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। शिवकुमार सिंह इसके पहले कांग्रेस, बसपा, सपा में भी रह चुके हैं। विधानसभा टिकट की चाहत उनकी शुरू से रही लेकिन समीकरण में फिट नहीं बैठ पाए। पंचायती राज मंत्री ओपी राजभर जब यहां प्रभारी मंत्री बनकर आए तभी मीटिंग बैठकों में शिवकुमार सिंह का उनसे संपर्क बढ़ा। उनके रास्ते विधानसभा पहुंचने की राह उन्हें आसान नजर आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के बहाने इसौली विधानसभा में एक बड़ी जनसभा में उन्होंने अपना शक्ति प्रदर्शन किया। जिसमें मंत्री ओपी राजभर उनके बेटे अरविंद राजभर भी शामिल हुए।