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निजी विश्वविद्यालयों द्वारा बिना अनुमति नए कोर्स शुरू करना आपराधिक कृत्य : संजय सिंह

रायपुर, 27 अक्टूबर।छत्तीसगढ़ आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सिंह ने राज्य के कई निजी विश्वविद्यालयों और शासन के बीच भ्रष्ट गठजोड़ के गंभीर आरोप लगाए।

    श्री सिंह ने सोमवार को राजधानी में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस गठजोड़ के कारण लाखों विद्यार्थी ठगे जा रहे हैं, जिनसे न केवल आर्थिक शोषण किया जा रहा है बल्कि जिन कोर्सों में वे अध्ययन कर रहे हैं, उनकी वैधानिकता भी संदिग्ध है।

मनमानी फीस वसूली पर सवाल

   श्री सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने 23 जून 2025 को जारी आदेश में सभी विश्वविद्यालयों को यह स्पष्ट निर्देश दिए थे कि उनके व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की फीस “शुल्क निर्धारण समिति” से अनुमोदित कराना अनिवार्य है। इसके बावजूद अधिकांश निजी विश्वविद्यालय शासन के आदेशों की अवहेलना करते हुए मनमानी फीस वसूल रहे हैं।

 उन्होंने आरोप लगाया कि शासन की स्पष्ट निर्देशों की अवहेलना करने के बावजूद तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा इन विश्वविद्यालयों को काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल करना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह शासन का भ्रष्ट व आपराधिक कृत्य भी है। (संलग्न पत्र – छग निजी विवि विनियामक आयोग, दिनांक 23 जून 2025)

 बिना अनुमति नए कोर्स संचालित

श्री सिंह ने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम, 2005 (संशोधित 2010) के अनुसार कोई भी विश्वविद्यालय राज्य शासन से पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना नया शिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ नहीं कर सकता।
इसके बावजूद राज्य के कई निजी विश्वविद्यालय स्वेच्छा से नए-नए कोर्स शुरू कर रहे हैं, जो न केवल अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है।

संजय सिंह ने कहा कि शासन को ऐसे मामलों में तत्काल जांच कर इन अवैध पाठ्यक्रमों को निरस्त करना चाहिए और संबंधित विश्वविद्यालयों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। (संलग्न अधिनियम दस्तावेज, 2005 संशोधित 2010)

 उच्च शिक्षा सचिव के निर्देश भी बेअसर

प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया गया कि 16 जुलाई 2024 को तत्कालीन उच्च शिक्षा सचिव ने विश्वविद्यालयों को निर्धारित नियमों का पालन करने हेतु 15 दिन और 1 माह की समय-सीमा दी थी, किंतु 15 माह बीत जाने के बाद भी संबंधित विश्वविद्यालयों द्वारा इसका पालन नहीं किया गया है। (संलग्न पत्र – 16 जुलाई 2024)

 आरटीआई एसोसिएशन की मांगें

संजय सिंह ने कहा कि राज्य सरकार को छात्रहित में तत्काल ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने निम्न मांगें रखीं—

  1. निजी विश्वविद्यालयों द्वारा किए जा रहे उल्लंघनों और तकनीकी शिक्षा विभाग व संबंधित अधिकारियों की भूमिका की व्यापक जांच की जाए।
  2. बिना शुल्क निर्धारण समिति की स्वीकृति के वसूली गई फीस को अवैध घोषित कर छात्रों और अभिभावकों को राहत प्रदान की जाए।
  3. बिना शासन की अनुमति के शुरू किए गए पाठ्यक्रमों वाले विश्वविद्यालयों की मान्यता तत्काल निलंबित की जाए।
  4. तकनीकी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा विभाग यह स्पष्ट करे कि नियमों का पालन न करने वाले विश्वविद्यालयों को काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल क्यों किया गया।
  5. जो विश्वविद्यालय शासन द्वारा निर्धारित बिंदुओं से संबंधित जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं कर रहे हैं, उन पर दंडात्मक कार्रवाई कर सभी अनिवार्य जानकारियाँ सार्वजनिक करवाई जाएं।

 “छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं”

संजय सिंह ने कहा कि यदि शासन ने तत्काल कार्रवाई नहीं की तो आरटीआई एसोसिएशन राज्य स्तर पर आंदोलन चलाने पर विवश होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि छात्र-हितों से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर अब और चुप्पी स्वीकार्य नहीं होगी।