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अजय सिंह चुनाव जीत सकते हैं बशर्ते साजिशों को भांप लें – अरुण पटेल

अरूण पटेल

सीधी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस नेता अजय सिंह चुनाव जीत सकते हैं बशर्ते कि वे उनके विरुद्ध अपनों व परायों द्वारा की जा रही साजिशों और षडयंत्रों को समय पूर्व भांप लें एवं समय रहते होने वाले डेमेज को कंट्रोल कर लें। अभी तक का अनुभव यह बताता है कि अजय सिंह को उनके साथ हो रही साजिशों का पता उस समय चलता है जब वे साजिशें किसी अंजाम तक पहुंच जाती हैं। नेता प्रतिपक्ष के रुप में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घेराबंदी करने के लिए जब उन्होंने अविश्‍वास प्रस्ताव की सूचना 2013 में विधानसभा में दी उस समय उनके ही नेतृत्व पर अविश्‍वास प्रकट करते हुए उपनेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी कांग्रेस छोड़कर भाजपा के पाले में चले गये थे और अविश्‍वास प्रस्ताव अजयसिंह ला ही नहीं पाये।

इसी प्रकार जब अजय सिंह ने 2014 में सतना से लोकसभा जाने की तैयारी की तब वह चुनाव वे भाजपा के गणेश सिंह से मात्र 8 हजार 688 मतों के अन्तर से पराजित हुए जबकि उस समय मोदी लहर थी। उस समय भी वे यह नहीं भांप पाये कि उनके साथी विधायक अचानक कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लेंगे। चुनाव प्रचार अभियान समाप्ति के एक दिन पूर्व जब कांग्रेस की प्रचार रैली हुई उसमें अजय सिंह के साथ कांग्रेस विधायक नारायण त्रिपाठी भी थे लेकिन प्रचार समाप्त होने के पूर्व जो अंतिम चुनावी सभा हुई उसमें त्रिपाठी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंच पर जा पहुंचे और भाजपा का दामन थाम लिया। 2018 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात की पक्कही व्यूहरचना की कि इस बार अजय सिंह को उनके गढ़ चुरहट में ही पटकनी दी जाए। एक ओर तो भाजपा ने मजबूती से चुनाव लड़ा और दूसरी ओर अंदर ही अंदर एक पारिवारिक विवाद में उन्हें न्यायालय में उनकी मॉ और बहन ने ही ले जाकर खड़ा कर दिया। इसमें भी भाजपा ने अपने संपर्क सूत्रों का पूरा उपयोग किया और बहन बीना सिंह ने एक बार फिर ऐसे हालात पैदा कर दिए कि अजय सिंह को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा। ऐसा नहीं है कि चुरहट से अजय सिंह ही चुनाव हारे हों, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तत्कालीन मंत्री उनके पिता अर्जुन सिंह को भी चुरहट में चन्द्रप्रताप तिवारी के हाथों पराजित होना पड़ा और कुछ माह बाद ही उमरिया के कांग्रेस विधायक ने त्यागपत्र दिया और अर्जुन सिंह फिर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे और उसके बाद लगातार प्रदेश व राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ते चले गये। हाल के विधानसभा चुनाव में अजय सिंह को शरदेन्दु तिवारी ने पराजित किया जो कि चन्द्रप्रताप तिवारी के पोते हैं। अजय सिंह को इस बार एक मौका फिर मिला है कि वे सीधी क्षेत्र से लोकसभा में पहुंचकर राष्ट्रीय फलक पर सक्रिय हों, इसके लिए जरुरी है कि वे अन्दरुनी साजिशों पर पैनी नजर रखने में कोताही नहीं बरतें।

इस चुनाव में कुछ परिस्थितियां उनके अनुकूल इस मायने में हैं कि सांसद रीति पाठक का भाजपा में ही विरोध हो रहा है। 2009 और 2014 में इस क्षेत्र से भाजपा सफल रही। 2009 में जीत दर्ज कराने वाले उसके सांसद गोविंद मिश्रा ने भाजपा से अब किनारा कर लिया है और रीति पाठक के विरोध का झंडा उठा रखा है। अंदरुनी कलह ने उनके सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। सिंगरौली के जिलाध्यक्ष कांतिदेव सिंह ने पाठक को टिकट मिलते ही पद से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा का दावा है कि वे मान गये हैं, लेकिन चुनाव में उनकी क्या भूमिका होगी इस पर से पर्दा उठना अभी बाकी है। सीधी के भाजपा जिलाध्यक्ष राजेंद्र मिश्रा भी पाठक से खुश नहीं हैंं वही चार बार के विधायक कद्दावर ब्राह्मण नेता केदार शुक्ल भी पाठक को टिकट मिलने से खुश नहीं हैं। फिलहाल जो नेता पाठक का साथ दे रहे हैं उनका जनाधार अपेक्षाकृत कमजोर है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य अजय प्रताप सिंह की भी जमीनी पकड़ अधिक मजबूत नहीं है। कांग्रेस अजय सिंह उर्फ राहुल भैया को यह कहने का भी अवसर मिल गया है कि बिना रेल लाइन के ढाई साल पहले तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने जिस रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया था वहां ट्रेन आज तक नहीं पहुंच पाई। ऐसे ही हालात सिंगरौली में प्रस्तावित हवाई अड्डे के भी हुए। सीधी लोकसभा क्षेत्र के सिहावल से विजयी कांग्रेस के इकलौते विधायक कमलेश्‍वर पटेल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के केबिनेट मंत्री हैं और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं पर उनकी मजबूत पकड़ है। उनकी सक्रियता अजय सिंह की राह आसान कर सकती है तो दूसरी ओर श्रीनिवास तिवारी के बेटे स्व. सुंदरलाल तिवारी से अजय सिंह के रिश्ते अच्छे हो गये थे, उनके बेटे सिद्धार्थ तिवारी रीवा से चुनाव लड़ रहे हैं, उनके जुड़ाव का फायदा भी अजय सिंह को मिल सकता है क्योंकि सीधी क्षेत्र में जहां-जहां अजय सिंह की चुनाव सभायें हो रही हैं वहां क्षेत्र के बड़े ब्राह्मण नेता रहे स्व.श्रीनिवास तिवारी के चित्र भी मंच पर लगाये गये हैं।

 

सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।