
मध्यप्रदेश का सागर लोकसभा क्षेत्र 2009 से सामान्य वर्ग के लिए हो गया है जबकि इसके पूर्व यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। 1989 से अभी तक जो आठ लोकसभा चुनाव हुए हैं उनमें से सात में भाजपा और एक में जीत का सेहरा कांग्रेस के सिर बंधा है। सागर लोकसभा क्षेत्र भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ों में तब्दील हो चुका है। कांग्रेस ने प्रभु सिंह सिंह ठाकुर को चुनाव मैदान में उतार कर इस भगवाई किले में सेंध लगाने की कोशिश की है जिनकी दसकोणीय मुकाबले में सीधी टक्कर भाजपा के नये चेहरे सागर नगरपालिक निगम अध्यक्ष राज बहादुर सिंह से हो रही है। पूर्व कांग्रेस नेता राजकुमार यादव को बसपा ने चुनाव मैदान में उतार कर यादव मतों में सेंध लगाने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के इस गढ़ पर काबिज बने रहने के लिए रैली को सम्बोधित किया। उन्होंने कांग्रेस और मुख्यमंत्री कमलनाथ पर तीखे हमले करते हुए भाजपा की राह आसान बनाने की कोशिश भी की। कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार भाजपा से लगभग एक माह पूर्व ही घोषित कर दिया था। यह भी एक संयोग है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार दांगी ठाकुर हैं जिनकी संख्या इस क्षेत्र में लगभग पौने दो लाख है। बसपा ने चुनावी मुकाबले को त्रिकोणात्मक बनाने की कोशिश की है।
एक समय था जब 1996 के लोकसभा चुनाव में बसपा को इस क्षेत्र में 66 हजार 999 यानी 14.28 प्रतिशत मत मिले थे। उसके बाद के चुनाव में बसपा को 7.91 प्रतिशत मत मिले तो 2009 में उसके मत और भी घट गए और केवल 2.23 प्रतिशत ही रह गये। भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद लक्ष्मीनारायण यादव का टिकट काट दिया है। यादव रुठे हुए हैं, यहां तक कि उन्होंने प्रधानमंत्री की सभा से भी दूरी बनाकर रखी। इस उम्मीद में कि यादवों का समर्थन बसपा को मिल जायेगा उसने राजकुमार यादव को चुनावी मैदान में उतारा है, लेकिन लक्ष्मीनारायण यादव की नाराजी का कोई विशेष असर पड़ेगा इसकी संभावना बहुत कम है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे सुधीर यादव को सुरखी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा था जिन्हें कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत ने 21 हजार 418 मतों से पराजित किया। कांग्रेस उम्मीदवार प्राु सिंह दिग्विजय सिंह सरकार में राज्यमंत्री रह चुके हैं। भाजपा के राज बहादुर सिंह चार बार से पार्षद हैं लेकिन उनके खाते में अभी पूर्व मंत्री भ्ाूपेंद्र सिंह का करीबी होने के अलावा और कोई खास उपलब्धि नहीं है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि चुनावी मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी की जमीनी पकड़ और भाजपा के संगठनात्मक प्रबंधन के बीच है। कांग्रेस उम्मीदवार को परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की पकड़ का भरोसा है तो राज बहादुर सिंह को भूपेंद्र सिंह की लोकप्रियता, जमावट एवं कुशल प्रबंधन का सहारा है।
हालांकि इस लोकसभा क्षेत्र में आठ में से सात विधायक भाजपा के हैं लेकिन बीना में प्रभु सिंह सिंह की पकड़ कुछ मजबूत मानी जा सकती है क्योंकि वे यहां से विधायक रह चुके हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में सागर, सुरखी, नरयावली, खुरई और बीना सागर जिले के तथा सिंरोज, कुरवाई एवं शमशाबाद विदिशा जिले के हैं। सागर विधानसभा क्षेत्र में 26 साल से भाजपा की जीत का परचम लहरा रहा है जबकि कांग्रेस गुटबाजी में यहां बुरी तरह उलझी हुई है। सुरखी विधानसभा क्षेत्र में परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का अच्छा खासा असर है वहीं भाजपा की पूर्व विधायक पारुल साहू, सांसद लक्ष्मीनारायण यादव और राजेंद्र सिंह मोकलपुर टिकट नहीं मिलने से नाराज चल रहे हैं। नरयावली विधानसभा क्षेत्र में राज बहादुर सिंह का पैतृक गांव रिछावर भी है तो वहीं कांग्र्रेस उम्मीदवार प्रभु सिंह सिंह का गृह नगर बीना है। हाल ही के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी यहां केवल 700 वोटों से ही जीत पाये थे इसलिए यह माना जा सकता है कि यहां प्रभु सिंह सिंह की मजबूत पकड़ होगी। सिंरोज, कुरवाई और शमशाबाद क्षेत्र में भाजपा की पकड़ मजबूत है। 2014 का लोकसभा चुनाव मोदी लहर पर सवार होकर भाजपा के लक्ष्मीनारायण यादव ने कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत को 1 लाख 20 हजार 773 मतों के अन्तर से पराजित कर जीता था। 2018 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक परिदृश्य कुछ बदल गया है, हालांकि भाजपा के सात विधायक हैं लेकिन फिर भी 1 लाख 20 हजार 773 मतों की भाजपा की लीड घटकर 79 हजार 544 रह गयी है। वैसे जीतेगा तो कोई दांगी ही केवल देखने की बात यह होगी कि राजनीति के पुराने खिलाड़ी प्रभु सिंह भाजपा के इस किले को भेद पाते हैं या नये-नवेले राज बहादुर सिंह किला बचाने में सफल रहते हैं।
सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।
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