रायपुर 19जून।छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के सिकल सेल संस्थान को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जाएगा।ब्लड ट्रांसफ्यूजन, स्टेम सेल थेरेपी और हिमोग्लोबिनोपैथी जैसी सुविधाएं वहां उपलब्ध होंगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां विश्व सिकल सेल दिवस कार्यक्रम में इसकी घोषणा की।उन्होने कहा कि सिकल सेल एक चुनौती के रूप में छत्तीसगढ़ में भी मौजूद है।इनके अधिकांश वाहकों को स्वयं पता नहीं होता कि वे आनुवांशिक रूप से इस रोग से प्रभावित हैं।जागरूकता और जानकारी के अभाव में सिकल सेल से पीड़ित लोग तकलीफदेह जिंदगी जीते हैं।बचपन में ही बीमारी की पहचान होने से उचित प्रबंधन, खान-पान, सही जीवन शैली और उपचार से वे सामान्य और आरामदायक जिंदगी जी सकते हैं।
उन्होने कहा कि सिकल सेल पीड़ितों और इसके वाहकों का पता लगाने के लिए सभी लोगों के खून की जांच की जानी चाहिए। लगातार अनुसंधानों के बाद भी इस बीमारी का इलाज नहीं खोजा जा सका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसे संस्थान स्थापित किए जाने चाहिए जो इस पर शोध करें और इसका उपचार ढूंढे। सरकार इसके लिए सभी संसाधन मुहैया कराएगी। सिकल सेल का पता लगाने स्कूलों में अनिवार्य रूप से बच्चों के खून की जांच की जानी चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्री टी.एस.सिंहदेव ने कार्यक्रम में कहा कि भावी पीढ़ी को सिकल सेल से बचाने के लिए जानकारी और जागरूकता जरूरी है। विवाह के पूर्व वर-वधू को अपने रक्त की जांच जरूर करवाना चाहिए। सिकल सेल वाहक लड़के-लड़कियों की शादी आपस में नहीं होनी चाहिए। यह एक आनुवांशिक बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित माता-पिता से ही यह अगली पीढ़ी तक पहुंचती है। छत्तीसगढ़ में सिकल सेल को रोकने सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे। सरकार इसके लिए उच्च स्तरीय संस्थान स्थापित करने की पहल कर रही है।
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