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हाथी-मानव द्वन्द्व को रोकने नहीं होगी वित्तीय संसाधनों की कमी-अकबर

रायपुर, 02 जुलाई। छत्तीसगढ़ के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि हाथी-मानव द्वन्द्व को न्यूनतम करने और हाथियो के संरक्षण के लिए राज्य स्तर पर वित्तीय संसाधनों की कभी भी कमी नहीं होने दी आएगी।

श्री अकबर ने आज यहां प्रोजेक्ट एलीफेन्ट मानिटरिंग कमेटी द्वारा आयोजित तीसरी क्षेत्रीय कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हाथी बुध्दिमान और संवेदनशील प्राणी है। वे पूरे समाज के लिए मूल्यवान है। उन्हें संऱक्षित रखना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व में बादलखोल, तमोरपिंगला, सेमरसोत और लेमरू अभ्यारण्य को चिन्हित किया गया था, जिसमें बादलखोल और तमोरपिंगला, सेमरसोत अभ्यारण्य एलीफेन्ट रिजर्व के लिए नोटिफाइड किया गया है। अब लेमरू अभ्यारण्य को भी एलीफेन्ट रिजर्व के लिए नोटिफाइड करने के लिए मंत्रीमंडल की बैठक में प्रस्ताव लाया जाएगा।

श्री अकबर ने कहा कि हाथियों के संरक्षण और उन पर नजर रखने के लिए बार-बार प्रयोग करने के बजाय एक ठोस और सुव्यस्थित कार्ययोजना बनाई जाए।केन्द्र सरकार के वन विभाग के अपर महानिदेशक एम.एम नेगी ने कहा कि  यह पहला अवसर है जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से कमेटी को फील्ड विजिट कराया गया। इस कार्यशाला में अन्तर्राज्यीय समन्वय और एकीकृत रणनीति, सूचनाओं के आदान-प्रदान पर एक व्यवस्था बनाने की सहमति बनी।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने कहा कि प्रदेश इस समस्या से समाधान करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा हाथियों से होने वाली जनहानि के प्रकरणों में क्षतिपूर्ति राशि चार लाख रूपए से बढ़ाकर छह लाख रूपए कर दी गई है। इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी  अतुल शुक्ला विशेषज्ञ आर.एन. श्रीवास्तव, डॉ मलिक ने भी अपना सम्बोधन दिया। कार्यक्रम में 06 राज्यों के वन अधिकारी, और वन्य प्राणी विशेषज्ञ उपस्थित थे।