रायपुर 18 जुलाई।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्र में कुपोषण की चुनौती से निपटने, चिकित्सा और रोजगार की बेहतर व्यवस्था करने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं।
श्री बघेल ने विधानसभा के सेन्ट्रल हॉल में आज सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि लोक निर्माण विभाग के माध्यम से संचालित निर्माण कार्यों के द्वारा भी स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के प्रयास हैं। इन क्षेत्रों में लघु वनोपज पर आधारित लघु उद्योगों और प्रसंस्करण इकाईयों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे यहां के नागरिकों को रोजगार और आय अर्जन के अवसर मिल सकें।
उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों में लघु वनोपजों पर आधारित प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री से वन अधिनियम के प्रावधानों को शिथिल करने का आग्रह किया गया है, जिससे यहां रोजगारमूलक इकाईयों के लिए जमीन आवंटित करने और संचालित करने के लिए सुविधा मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डीएमएफ की राशि का उपयोग खदान प्रभावित क्षेत्र में लोगों के जीवन में बेहतर परिवर्तन लाने के लिए किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण दूर करने के लिए चना दिया जा रहा है, गुड़ भी देंगे। दन्तेवाड़ा जिले में कुपोषण दूर करने के लिए बच्चों और महिलाओं को अण्डा वितरण का काम प्रारंभ किया गया है जिसकी नीति आयोग ने प्रशंसा की है।
उन्होंने कहा कि बस्तर और सरगुजा में सिंचाई का प्रतिशत काफी कम है। नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना के माध्यम से यहां के नालों को रिचार्ज करने का काम किया जाएगा, जिससे सतही जल और भूमिगत जल की उपलब्धता बढ़ेगी।उन्होने बताया कि आदिवासी क्षेत्र विकास प्राधिकरणों का अध्यक्ष स्थानीय विधायकों को बनाने का फैसला लिया गया है। इसी तरह तेंदूपत्ता संग्रहण की दर ढाई हजार रूपए से बढ़ाकर चार हजार रूपए प्रति मानक बोरा की गई है। बस्तर में प्रस्तावित स्टील प्लांट नहीं बनने पर लोहंड़ीगुड़ा क्षेत्र के किसानों की अधिगृहित भूमि लौटाने का निर्णय भी किया गया है।
इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, नगरीय विकास मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत और विधायक श्री मोहन मरकाम विशेष रूप से उपस्थित थे।
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