नई दिल्ली 12 दिसम्बर।लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए आरक्षण की अवधि दस साल और बढ़ाने संबंधी 126वें संविधान संशोधन विधेयक 2019 को संसद की मंजूरी मिल गई है।
राज्यसभा ने आज इसे सर्वसम्मति से पारित किया। सदन में मौजूद सभी 163 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। इस विधेयक में आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2030 तक के लिए बढ़ा दी गयी है।
विधि और न्यायमंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि सरकार अनुसूचित जातियों और जनजातियों के आरक्षण के मामले में क्रीमी लेयर के मानदंड लागू करने के पक्ष में नहीं है।उन्होंने कहा कि समाज के इन वर्गों के लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ा है और वे बेहद उपेक्षित रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में सरकार के द़ृष्टिकोण को उच्चतम न्यायालय ने भी सही ठहराया है।
सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति उपयोजना के लिए आबंटन बढ़ाकर 76 हजार करोड़ रुपये कर दिया है जो यूपीए सरकार के दौरान आबंटित राशि से बहुत अधिक है।
दलगत मतभेदों को भुलाकर विपक्षी पार्टियों ने विधेयक का समर्थन किया लेकिन एंग्लो-इंडियन समुदाय को आरक्षण के दायरे में न रखे जाने को लेकर सवाल उठाये।