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छत्तीसगढ़ में हर साल राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन-भूपेश

रायपुर 29 दिसम्बर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि अब हर साल राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन होगा। यह आयोजन राज्योत्सव के साथ होगा। राज्योत्सव कुल पांच दिनों को होगा।

श्री बघेल ने आज नृत्य समारोह के समापन के मौके पर कहा कि छत्तीसगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में पहली बार देश-विदेश के कलाकारों ने एक साथ मंच साझा किया है। तीन दिवसीय महोत्सव में बड़ी संख्या में आदिवासी कलाकारों ने अपनी कला और संस्कृति को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में छह देशों सहित 25 राज्यों और तीन केन्द्र शासित प्रदेशों के कलाकार एक साथ जुटे। इस महोत्सव में देश-विदेश की जनजातीय संस्कृतियों को करीब से जानने का लोगों को मौका मिला।

उन्होने कहा कि पिछले पंद्रह वर्षों में छत्तीसगढ़ की पहचान लुप्त हो गई थी। इसे केवल देश के नक्शे पर नक्सल हिंसा की गतिविधियों में स्थान मिलता था। हमारी सरकार बनते ही छत्तीसगढ़ की गौरवशाली परम्परा और इतिहास, पुरखों के सपनों को पूरा करने की दिशा में तेजी से काम करना शुरू किया। किसानों की ऋण माफी और पूरे देश में सबसे ज्यादा 2500 रूपए कीमत में प्रति क्विंटल धान खरीदी की व्यवस्था की। बिना भेदभाव के हर परिवार को 35 किलो चावल सहित अनेक निर्णय लिए।

उन्होंने कहा कि हमारे सियान, हमारे पुरखों ने एक समृद्ध छत्तीसगढ़, मजबूत छत्तीसगढ़ की परिकल्पना की थी। एक साल में हमने आपके सहयोग से उनकी परिकल्पना को साकार करने का काम किया है। हमारे पुरखों के आशीर्वाद से छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति का कोई सानी नहीं है। यहां करमा, गौर नृत्य, पंथी, सुआ नृत्य का अपना महत्व है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन से छत्तीसगढ़ का नाम देश में ही नहीं समुद्र पार विदेशों में भी गया है।

समापन कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष नानाभाऊ पटोले ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासियों की कला एवं संस्कृति को देश-दुनिया में पहुंचाने और आदिवासियों में नई ऊर्जा लाने का काम किया है। आदिवासियों के जीवन में एक नई क्रांति और जोश भरा है। उन्होंने किसानों की मद्द के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा धान खरीदी और कर्जमाफी की सराहना की। श्री पटोले ने कहा कि सी.पी. बरार के समय छत्तीसगढ़ और विदर्भ का क्षेत्र एक साथ थे। उन्होंने कहा कि आदिवासी जनजीवन को प्रेरणा देने के लिए महाराष्ट्र में भी इस प्रकार के आयोजन की पहल की जाएगी।

छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि संत कबीर और बाबा गुरू घासीदास जी ने यहां एकता, शांति, समरसता को रग-रग में पिरोया है। यहां आने वाले कलाकारों को यह बात महसूस हुई होगी। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव आदिम जनजाति की संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने में मद्दगार रही। बहुत कम समय में इस ऐतिहासिक महोत्सव का आयोजन किया गया, इसके लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य बधाई के पात्र है।