रायपुर/नई दिल्ली 25 सितम्बर।केन्द्र सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में लघु वनोपजों के संग्रहण और प्रसंस्करण के छत्तीसगढ़ मॉडल की विशेष रूप तारीफ की गई।
कार्यशाला का आयोजन केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय और केन्द्र की ही संस्था ट्राईबल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ’ट्राईफेड’ द्वारा संयुक्त रूप से आज किया गया। प्रतिभागियों ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में सहकारिता के आधार पर लघु वनोपजों के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों को देश के अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय बताया।
कार्यशाला में लघु वनोपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति के अनुरूप देश के विभिन्न राज्यों में आदिवासियों को उचित और न्याय संगत मूल्य दिलवाने के लिए आगामी रणनीति पर विचार विमर्श किया गया। इसके साथ ही लघु वनोपजों के प्रसंस्करण उद्योगों की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई। केन्द्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री श्री जुएल ओराम ने कार्यशाला का शुभारंभ किया। इस मौके पर केन्द्रीय आदिवासी मामलों के राज्य मंत्री द्वय श्री जसवंत सिंह भाभोर और श्री सुदर्शन भगत विशेष रूप से उपस्थित थे।
इस अवसर पर केन्द्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री श्री जुएल ओराम की उपस्थिति में ट्राईफेड और अमेजन के बीच एक सहमति पर हस्ताक्षर किए गए। इस एमओयू के अनुसार छत्तीसगढ़ सहित देश भर के आदिवासियों द्वारा तैयार हस्तशिल्प की वस्तुओं के लिए ऑनलाइन बाजार की सुविधा मिलेगी। केन्द्रीय आदिवासी मामलों के मंत्रालय की सचिव सुश्री लीना नायर और ट्राईफेड के प्रबंध संचालक श्री प्रवीर कृष्ण भी कार्यशाला में मौजूद थे।