 नई दिल्ली 28 सितम्बर।देश की गिरती अर्थव्यवस्था पर वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा द्वारा एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में आलेख के जरिए किए हमले का जवाब का आज भाजपा ने उनके बेटे तथा मोदी सरकार में मंत्री जयंत सिन्हा से दिलवाया और उनके उठाए गए मुद्दों को बिन्दुवार जवाब के जरिए गलत बताने की कोशिश की।
नई दिल्ली 28 सितम्बर।देश की गिरती अर्थव्यवस्था पर वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा द्वारा एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में आलेख के जरिए किए हमले का जवाब का आज भाजपा ने उनके बेटे तथा मोदी सरकार में मंत्री जयंत सिन्हा से दिलवाया और उनके उठाए गए मुद्दों को बिन्दुवार जवाब के जरिए गलत बताने की कोशिश की।
राजनीति की मजबूरी कहे या फिर मंत्री पद पर बने रहने की दरकार,जयंत को अपने पिता के इंडियन एक्सप्रेस में गिरती अर्थव्यवस्था पर लिखे लेख का आज टाइम्स आफ इंडिया में जवाबी लेख के जरिए अपने पिता के उठाए मुद्दों को बिन्दुबार नकारना पड़ा।
श्री जयंत ने अपने पिता की राय से असहमति जाहिर करते हुए मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का जमकर बचाव किया।उन्होंने लिखा कि वर्तमान अर्थनीति नए भारत के निर्माण की दिशा में उठाया गया कदम है।पारदर्शी, प्रतियोगी और प्रगतिशील अर्थव्यवस्था के लिए बदलाव हो रहे हैं. एक या दो तिमाही के नतीजों से अर्थव्यस्था का आकंलन ठीक नहीं।
उन्होने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी गेमचेंजर हैं।करीब 5000 गांव ही ऐसे बचे हैं, जहां बिजली पहुंचाना बाकी है, जो 2018 तक लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।उन्होंने ये भी कहा कि हाल ही में जो लेख लिखे गए हैं, उसमें तथ्यों की कमी रही है।
 इससे पहले यशवंत सिन्हा ने कहा था कि 2019 के चुनावों से पहले अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना संभव नहीं है।यूपीए-2 की पॉलिसी पैरालाइसिस दूर करने की गंभीर कोशिश नहीं हो रही है।नितिन गडकरी के अलावा दूसरे किसी मंत्री ने ठोस काम नहीं किया।नोटबंदी और जीएसटी ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है।सरकार ने जीएसटी को लेकर जल्दबाज़ी दिखाई।अर्थव्यवस्था में डिमांड की कमी आने से नए रोज़गार पैदा नहीं हो रहा है।उम्मीद के मुताबिक अर्थव्यवस्था में नए निजी निवेश नहीं हो रहे हैं।
इससे पहले यशवंत सिन्हा ने कहा था कि 2019 के चुनावों से पहले अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना संभव नहीं है।यूपीए-2 की पॉलिसी पैरालाइसिस दूर करने की गंभीर कोशिश नहीं हो रही है।नितिन गडकरी के अलावा दूसरे किसी मंत्री ने ठोस काम नहीं किया।नोटबंदी और जीएसटी ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है।सरकार ने जीएसटी को लेकर जल्दबाज़ी दिखाई।अर्थव्यवस्था में डिमांड की कमी आने से नए रोज़गार पैदा नहीं हो रहा है।उम्मीद के मुताबिक अर्थव्यवस्था में नए निजी निवेश नहीं हो रहे हैं।
मंत्री जयंत के आज के लेख पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने सवाल उठाते हुए ट्वीट के जरिए इसे पीआईबी के लेख जैसा करार दिया।
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