रायपुर 08 अगस्त।छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासी समाज को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं।
सुश्री उइके ने आदिवासी दिवस की पूर्व संध्या पर जारी संदेश में कहा कि छत्तीसगढ़ देश के उन प्रदेशों में शामिल है, जहां पर करीब 32 प्रतिशत आदिवासी निवासरत हैं, जो अनेकों परम्पराओं को संजोए हुए हैं। इनकी संस्कृति और परम्पराएं अनूठी है। आदिवासी समाज ने नदी, नाले, तालाबों, झरनों, पर्वतों, शिखरों, गुफा, कंदराओं, लता, वृक्ष, पशु-पक्षी में भी देवशक्तियों को अवतरित कर उनके प्रति आदर भाव प्रदर्शित किया है। ऐसे भावों के कारण ही आदिवासी समाज सहज रूप से समृद्ध हुआ है।
उन्होने कहा कि आज पूरा विश्व कोविड-19 से जूझ रहा है, लेकिन आदिवासी समाज अपेक्षाकृत इससे कम प्रभावित दिख रहा है। इसका कारण उनका जीवन शैली, प्रकृति से उनका संबंध, उनके खानपान में वन उत्पादों का शामिल होना है। आज भी हमारे वनों में ऐसी जड़ी-बुटियां पाई जाती हैं, जिसके सेवन से हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसे आदिवासी समाज हमेशा से अपने खानपान और नित दिनचर्या में शामिल करते आए हैं, इसलिए उनमें रोगों से लड़ने की क्षमता सामान्य रूप से अधिक पाई गई है। यदि प्रवासियों को छोड़ दिया जाए तो सामान्य रूप से किसी भी आदिवासी क्षेत्र के गांव में कोविड-19 का प्रभाव नहीं देखा गया है।
श्री बघेल ने अलग जारी अपने संदेश में कहा कि छत्तीसगढ़ जनजाति बाहुल्य प्रदेश है। जनजातियों की प्राचीन कला और संस्कृति यहां की अनमोल धरोहर है। छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों की प्राचीनतम विरासत और संस्कृति को सहेजते हुए उनके विकास और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए संकल्पित है। हमारी कोशिश है कि प्रकृति के करीब जीवन जीने वाली यहां की 32 प्रतिशत आदिवासी जनता को सभी आवश्यक नागरिक सुविधाएं और आगे बढ़ने के सभी साधन सुलभ हों।