रायपुर, 28 अगस्त। छत्तीसगढ़ विधानसभा ने आज छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने का शासकीय संकल्प सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह शासकीय संकल्प प्रस्तुत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिल चुका है,लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा अभी तक संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं हो पायी है।छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास और मान्यता के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा का संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल होना आवश्यकता है।
उन्होने कहा कि वर्ष 2007 में उन्होंने विधानसभा में छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अशासकीय संकल्प लाया गया था, जिसे समवेत स्वर में पारित किया गया। पिछली सरकार ने भी भारत सरकार को छत्तीसगढ़ विधानसभा में छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा था। अनेक क्षेत्रीय भाषाएं आठवीं अनुसूची में शामिल हुई, लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं हो पायी।
श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 20 साल हो गए हैं, लेकिन छत्तीगसढ़ी 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं हो पायी है। केन्द्र सरकार से एक बार फिर इस संबंध में आग्रह करने के लिए यह शासकीय संकल्प विधानसभा में लाया गया है।उन्होने सभी सदस्यों से इस संकल्प को सर्वसम्मति से पारित करने के अनुरोध के बाद यह संकल्प विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया। चर्चा में डॉ. रमन सिंह,अजय चन्द्राकर, संगीता सिन्हा एवं धरमजीत सिंह ने हिस्सा लिया।