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जीएसटी में राहत देने की हुई कई घोषणाएं,कई चीजों पर कर की दरें भी होगी कम – जेटली

नई दिल्ली 06 अक्टूबर।केन्द्र सरकार ने निर्यातकों और छोटे तथा मध्‍यम उद्योगों को वस्‍तु और सेवाकर(जीएसटी) में बड़ी राहत देने की कई घोषणाएं करते हुए जीएसटी के तहत संयोजन सीमा 75 लाख रूपए से बढाकर एक करोड़ रूपए कर दी गई है।

वित्‍त मंत्री अरूण जेटली ने आज यहां जी एस टी परिषद की बैठक के बाद बताया कि योजना के तहत व्‍यापारियों को एक प्रतिशत, विनिर्माताओं को दो प्रतिशत और रेस्‍त्रां को पांच प्रतिशत कर देना होगा। डेढ करोड़ रूपए तक का कारोबार करने वाले जी एस टी करदाताओं को अब तिमाही आधार पर रिटर्न दाखिल होगा। पहले उन्‍हें हर महीने रिटर्न दाखिल करना होता था।

उन्होने कहा कि निर्यातकों को उनके इनपुट क्रेडिट का जुलाई का रिफण्‍ड 10 अक्‍टूबर और अगस्‍त का 18 अक्‍टूबर से मिलना शुरू हो जाएगा। यह एक अंतरिम व्‍यवस्‍था है।उन्होने कहा कि..ये तय हुआ कि क्रास इनपावरमेंट के माध्‍यम से सेंट्रल गावरमेंट और स्‍टेट के ऑफिर्सस दोनों इनपावर्ड रहेंगे और इमीजेटली आज 06 अक्‍टूबर है,10 अक्‍टूबर से जुलाई के महीने का और 18 अक्‍टूबर से अगस्‍त के महीने का रिफंड प्रोसेस करके उन एक्‍पोटर्स को उनके चैक्स दे दिये जायेंगे..।

वित्‍तमंत्री ने कहा कि केन्‍द्र और राज्‍य सरकार के अधिकारी इस पर काम करेंगे। निर्यातकों को अपने रिफण्‍ड वापस लेने के लिए अगले वर्ष पहली अप्रैल से ई वोलेट बनाना होगा।उन्होने कहा कि..जीएसटी में एक्‍जेम्‍पशन तो होता नहीं है तो फिलहाल और इसलिए एक ई-वॉयलेट हर एक्‍पोटर का बनेगा। उस ई- वॉयलेट में एक नोशनल अमाउंड उसको एडवांस रिफंड की दृष्टि से दिया जायेगा और इस क्रेडिट के माध्‍यम से जो उसकी प्रोडक्‍स का आई जी एस टी या जी एस टी देना वो लोग देंगे और जो उनको रिफंड रिवेंचुरी मिलता है उससे वो एप्‍सेट हो जायेगा..।

श्री जेटली ने बताया कि परिषद ने ई-वे बिल पर भी चर्चा की। उन्‍होंने बताया कि कर्नाटक का इस बारे में अच्‍छा अनुभव है और पहली जनवरी के बाद इसे अन्‍य राज्‍यों में भी शुरू किया जाएगा।

वित्‍त मंत्री ने कहा कि आई सी डी एस योजना में इस्‍तेमाल किए जाने वाले भोजन के पैकेट, खाखडा, सादी रोटी और बिना ब्रांड की नककीन जैसी वस्‍तुओं पर अब 18 प्रतिशत की बजाय पांच प्रतिशत कर लगेगा। बिना ब्रांड की दवाईयों पर वस्‍तु और सेवा कर की दर 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी गई है। डीजल ईंजन के पुर्जों पर कर की दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है। श्रम प्रधान सिंचाई योजनाओं की लागत कम करने के लिए कर को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है।