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बेहतर कानून व्यवस्था के लिए कलेक्टरों एवं पुलिस अधीक्षकों में बेहतर समन्वय जरूरी-रमन

रायपुर 24 अक्टूबर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि जिलों में शान्ति तथा बेहतर कानून व्यवस्था के लिए कलेक्टरों एवं पुलिस अक्षीक्षकों के बीच बेहतर तालमेल एवं समन्वय जरूरी है।

डा.सिंह ने आज यहां कलेक्टरों एवं पुलिस अधीक्षकों की राज्य स्तरीय संयुक्त बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक हर जिले में प्रशासन के दो महत्वपूर्ण व्यक्ति होते हैं  और प्रशासन को बेहतर ढंग से संचालित करने के लिए दोनों मिलकर एक और एक दो नहीं बल्कि एक और एक ग्यारह बनकर काम कर सकते हैं।
उन्होंने अगले दस महीने के समय को काफी चुनौती पूर्ण बताया और कहा कि इसलिए कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक दोनों काफी सतर्क रहें, और अपने मैदानी अमले को भी सतर्क रखें, ताकि छोटे-छोटे मुद्दों पर स्वार्थी किस्म के लोग कानून व्यवस्था की स्थिति ना बिगाड़ सकें। उन्होने कहा कि जिला प्रशासन और पुलिस के बीच अगर तहसील और थाना स्तर पर भी हमेशा तालमेल कायम रहे तो कई घटनाओं को समय से पहले ही रोका जा सकता है। उन्होंने किसी भी गंभीर घटना के दौरान पुलिस के रिस्पांस टाइम को बहुत महत्वपूर्ण बताया।

मुख्यमंत्री ने अवैध शराब के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए राज्य शासन द्वारा लागू की गई कोचियाबंदी की नीति का भी उल्लेख किया और कहा कि हर जिले में इस नीति पर प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने काफी सजगता और सक्रियता से काम किया है, जिसके अच्छे और सकारात्मक नतीजे आए हैं।सामुदायिक पुलिसिंग का काम भी अच्छे ढंग से हो रहा है। सरगुजा परिक्षेत्र और कुछ अन्य जिलों में सामुदायिक पुलिसिंग के तहत महिला कमांडों का गठन किया गया है। अवैध शराब की रोकथाम और नशे के खिलाफ जनजागरण जैसे कार्यों में महिला कमांडो की भूमिका सराहनीय है।

उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं के सुचारू संचालन के लिए जिलों में शांतिपूर्ण वातावरण का होना भी बहुत जरूरी है। शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने में जिला दण्डाधिकारियों के साथ पुलिस अधीक्षकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। अपराध नियंत्रण में पुलिस की भूमिका का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस की कार्य शैली ऐसी होनी चाहिए कि अपराधियों उसकी वर्दी का  खौफ नजर आए और आम जनता पुलिस को अपना मित्र समझे। पुलिस को देखकर जनता में सुरक्षा का एहसास हो।

डॉ. सिंह ने इस बात को संतोषप्रद बताया कि आम तौर पर सभी जिलों में इस दिशा में जिला दण्डाधिकारी और पुलिस अधीक्षक परस्पर समन्वय के साथ अच्छा काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तालमेल के अभाव में जिलों में शून्यता की स्थिति निर्मित हो सकती है, इसलिए यह समन्वय जारी रहना चाहिए और जिला स्तर से लेकर तहसील, विकासखंड और थाना स्तर तक मैदानी अधिकारियों में भी इस प्रकार का तालमेल कायम रहना चाहिए।

डॉ. सिंह ने प्रदेश की नक्सल समस्या के संदर्भ में कहा कि प्रभावित इलाकों में सरकार की विभिन्न योजनाओं के जरिये किसानों, ग्रामीणों और युवाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास हो रहा है। इन इलाकों में जनता को विश्वास में लेकर नक्सल चुनौती से निपटने में पुलिस को अच्छी सफलता भी मिल रही है। मुख्यमंत्री ने नक्सल समस्याग्रस्त जिलों में जिला दण्डाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को और भी ज्यादा सतर्कता बरतने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक दोनों को जिलों में होने वाले बड़े सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान साथ-साथ यात्रा करनी चाहिए, ताकि ऐसे आयोजनों में कानून व्यवस्था की दृष्टि से निचले स्तर के अधिकारी भी सतर्क रहें।
बैठक में मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड, गृह विभाग के प्रमुख सचिव श्री बी.व्ही.आर. सुब्रमण्यम, पुलिस महानिदेशक श्री ए.एन. उपाध्याय, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री अमन कुमार सिंह और अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।