अम्बिकापुर 26 मार्च।छत्तीसगढ़ की राज्यपाल एवं कुलाधिपति अनुसुईया उइके ने कहा कि डिग्री लेना अपने आप में जीवन की बड़ी उपलब्धि होती है लेकिन सफल मुकाम हासिल करने के लिए सही आचार विचार और संस्कार का होना बेहद जरूरी है।
सुश्री उइके ने आज संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षान्त समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अध्ययन का काल वह महत्वपूर्ण समय है जब हमारे अंदर जीवन के सभी संस्कारों और क्षमताओं का निर्माण होता है। इस अवस्था में हमें जो ‘‘ज्ञान‘‘ मिलता है वह हमें सुसंस्कृत, सौम्य और संयमी बनाता है। जीवन के संकटों से लड़ने में हमारी मदद करता है। ज्ञान केवल उपाधियों तक सीमित नहीं होता है। ज्ञानार्जन आजीवन चलता रहता है। जिसने सीखना बंद कर दिया, वह अधूरा ही रह जाता है।
उन्होने कहा कि विद्यार्थियों के परिश्रम और उनके पालकों के संस्कार का प्रतिफल है कि आज उन्हें यह सुखद अनुभूति हो रही है। डिग्री लेना अपने आप में जीवन की बड़ी उपलब्धि होती है लेकिन सफल मुकाम हासिल करने के लिए सही आचार विचार और संस्कार का होना बेहद जरूरी है। विद्यार्थीगण इनके अंगीकरण से समाज और देश के लिए मिशाल पेश करें। विद्या को केवल अपने तक सीमित न रखें बल्कि विद्या के द्वारा समाज निर्माण में योगदान दे।
जनजातीय कार्य मंत्रालय की केन्द्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थाएं विद्यार्थियों के विकास में अमूल्य योगदान देती हैं।उपाधि धारकों को उन्होंने कहा कि यह आपके जीवन का स्वर्णिम कदम है ,इस षिक्षा और ज्ञान से आप विष्व को चमत्कृत कर सकते हैं। आजादी का यह अमृत वर्ष आपके जीवन का प्रारंभिक वर्ष होने जा रहा है। आपकी आज की शिक्षा ही यह तय करेगी कि 2047 में जब हम आजादी के सौ वर्ष पूरे करेंगे,तब हम कहा होंगे।
स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि महान संत और समाज सुधारक के नाम पर संत गहिरा गुरु के नाम पर विश्वविद्यालय नाम होना गर्व की बात है। यह समारोह प्रदेश के दूरस्थ आदिवासी अंचल में उच्च शिक्षा के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता और परिपूर्णता का प्रतीक है। उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले मेधावी छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि उन सभी छात्रों के जीवन का यह अविस्मरणीय अवसर है।